इस विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस में से किसी को बहुमत नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस 114 सीटों पर जीत के साथ बड़ी पार्टी बनकर उभरी। भाजपा 109 सीटों पर सिमटकर रह गई। इस संख्या बल के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान बुधवार को राजभवन पहुंचे और उन्होंने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उधर, कांग्रेस ने राज्यपाल से मुलाकात कर 121 विधायकों के समर्थन के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया।
सीएम शिवराज के इस्तीफे का इंतजार
कांग्रेस की नजर भाजपा के घटनाक्रम पर थी। शिवराज के इस्तीफे के तत्काल बाद कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया और सांसद विवेक तन्खा के साथ राज्यपाल से मिलने पहुंचे। कांग्रेस ने सरकार बनाने के दावे में अपने विधायकों के साथ एक सपा, दो बसपा और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा किया है। राजभवन के बाहर बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता जमा हो गए थे। कार्यकर्ताओं में सीएम को लेकर दो सुर सुनाई दिए। कुछ ने कमलनाथ तो कुछ कार्यकर्ताओं ने सिंधिया को सीएम बनाने की मांग की। उधर, कुछ सिंधिया समर्थकों ने रैली निकालकर सीएम हाउस के सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया को भावी मुख्यमंत्री बताते हुए जमकर नारेबाजी की। यहां कानून-व्यवस्था बिगड़ते देख पुलिस ने हस्तक्षेप किया। दिनभर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा रहा।
3 मंत्रियों की हार से बिगड़ गए समीकरण, भाजपा ने खीचें हाथ
ब हुमत से सात सीट दूर रहने वाली भाजपा ने मंगलवार देर रात ऐलान किया था कि वह भी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी, लेकिन मतगणना के अंतिम चरण में तीन मंत्रियों की हार ने समीकरण बिगाड़ दिए। भाजपा इस आधार पर टिकी थी कि उसे कांग्रेस के बराबर या उससे एक सीट ज्यादा मिली तो वह निर्दलीयों से मिलकर सरकार बना लेगी। 109 सीटों पर ठहरने के बाद बुधवार सुबह सीएम हाउस में तय हुआ कि पार्टी सरकार बनाने का दावा नहीं करेगी। शिवराज ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से फोन पर चर्चा की।