scriptअब दिमाग में छोटे से छेद से दूर हो जाएंगे मिर्गी के दौरे, जानिए कैसे | new compound may help fight epilepsy | Patrika News

अब दिमाग में छोटे से छेद से दूर हो जाएंगे मिर्गी के दौरे, जानिए कैसे

locationभोपालPublished: Nov 25, 2017 03:58:57 pm

Submitted by:

Ashtha Awasthi

एम्स में फ्रांस से आए चिकित्सकों ने दी जानकारी…

epilepsy

epilepsy

भोपाल। मिर्गी अगर दवा से ठीक नहीं हो रही है तो ऑपरेशन ही इसका एकमात्र उपाय है। अब एम्स में मिर्गी की सर्जरी छोटे से सुराख से ही हो जाएगा। इसके लिए मिनिमम इनवेसिव सर्जरी का उपयोग किया जाएगा। यह तकनीक दुनिया में पहली बार सभी एम्स में उपयोग की जा रही है। यह बात एम्स भोपाल में आयोजित इंडो फ्रेंच कॉन्फ्रेंस एंड वर्कशॉप में हुई।

 

एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के डॉ. आदेश श्रीवास्तव ने बताया कि ब्रेन के दो पार्ट लेफ्ट और राइट होते हैं। दोनों पार्ट में से किसी एक के सेल्स में शॉर्ट सर्किट होने से मिर्गी की समस्या होने लगती है। नई तकनीक से दो से तीन घंटे में पूरी सर्जरी हो जाती है और मरीज दो तीन दिन में अपने घर चला जाता है। कार्यक्रम में फ्रांस की न्यूरो सर्जन प्रो. क्लेयर हेडेलिन ने बताया कि ब्रेन सर्जरी में लगातार नए-नए प्रयोग हो रहे हैं। इस रोग के पहचान के लिए इलेक्ट्रो इंसेफेलोग्राम (ईईजी), सीटी स्कैन, एमआरआई और पेट स्कैन जैसी जांचें होती हैं।

 

कारण

मस्तिष्क का काम न्यूरॉन्स के सही तरह से सिग्नल देने पर निर्भर करता है लेकिन जब इस काम में बाधा उत्पन्न होने लगता है तब मस्तिष्क के काम में प्रॉबल्म आना शुरू हो जाता है। इसके कारण मिर्गी के मरीज़ को जब दौरा पड़ता है तब उसका शरीर अकड़ जाता है, बेहोश हो जाते हैं, कुछ वक्त के लिए शरीर के विशेष अंग निष्क्रिय हो जाता है आदि। वैसे तो इसके रोग के होने के सही कारण के बारे में बताना कुछ मुश्किल है। कुछ कारणों के मस्तिष्क पर पड़ सकता है असर, जैसे-

• सिर पर किसी प्रकार का चोट लगने के कारण।
• जन्म के समय मस्तिष्क में पूर्ण रूप से ऑक्सिजन का आवागमन न होने पर।
• ब्रेन ट्यूमर।
• दिमागी बुखार (meningitis) और इन्सेफेलाइटिस (encephalitis) के इंफेक्शन से मस्तिष्क पर पड़ता है प्रभाव।
• ब्रेन स्ट्रोक होने पर ब्लड वेसल्स को क्षति पहुँचती है।
• न्यूरोलॉजिकल डिज़ीज जैसे अल्जाइमर रोग।
• जेनेटिक कंडिशन।
• कार्बन मोनोऑक्साइड के विषाक्तता के कारण भी मिर्गी का रोग होता है।
• ड्रग एडिक्शन और एन्टीडिप्रेसेन्ट के ज्यादा इस्तेमाल होने पर भी मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ सकता है।

 


लक्षण

• अचानक हाथ,पैर और चेहरे के मांसपेशियों में खिंचाव उत्पन्न होने लगता है।
• सर और आंख की पुतलियों में लगातार मूवमेंट होने लगता है।
• मरीज़ या तो पूर्ण रूप से बेहोश हो जाता है या आंशिक रूप से मुर्छित होता है।
• पेट में गड़बड़ी।
• जीभ काटने और असंयम की प्रवृत्ति।
• मिर्गी के दौरे के बाद मरीज़ उलझन में होता है, नींद से बोझिल और थका हुआ महसूस करता है।

 


उपचार

मिर्गी के रोग का एक ही उपचार हो सकता है, वह है दौरे के समय सीज़र को कंट्रोल में करना। इसके लिए एन्टी एपिलेप्टिक ड्रग (anti-epileptic drug (AED) थेरपी और सर्जरी होती है। जिन लोगों पर ये ड्रग काम नहीं करता है उन्हें सर्जरी करने की सलाह दी जाती है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो