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MP में अब ऐसे चुने जाएंगे मेयर, अगली कैबिनेट में सरकार लाएगी प्रस्ताव

locationभोपालPublished: Sep 01, 2019 02:56:00 pm

– अध्यादेश लाएगी सरकार- अब जनता नहीं चुन सकेगी अपना महापौर- वरिष्ठ सचिव समिति ने दी प्रस्ताव को दी हरीझंडी

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भोपाल। नगर निगम के महापौर समेत नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष का चुनाव अब पार्षद के जरिए होगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली वरिष्ठ सचिवों की समिति ने शनिवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
अगली कैबिनेट बैठक में इस अनुशंसा को रखा जाएगा। अंतिम निर्णय कैबिनेट बैठक में होगा। इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए राज्य सरकार अध्यादेश लेकर आएगी।

वर्तमान प्रावधान के तहत महापौर समेत नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष के लिए सीधे चुनाव होता है। यानी जनता इन्हें चुनती है, लेकिन प्रस्ताव के तहत अब इनका चुनाव पार्षद करेंगे। इसके लिए नगर पालिका नियम और नगर पलिक अधिनियम में संशोधन करना होगा।
पार्षदों का चुनाव पूर्व की तरह ही होगा। साथ ही समिति ने चुनाव से छह महीने पहले परिसीमन की अनिवार्यता घटाकर दो महीने की अनुशंसा भी कर दी है।

अधिकांश निगमों पर भाजपा का कब्जा –
वर्तमान में राज्य के अधिकांश नगर निगमों के महपौर और परिषद अध्यक्ष भाजपा के हैं। कांग्रेस सरकार यहां अपना कब्जा चाहती है, इसलिए कांग्रेस संगठन का भी मानना था कि इनका चुनाव सीधे न हो।
तर्क दिया गया कि सीधे चुनाव होते हैं तो कांग्रेस को नुकसान की संभावना है। पार्षद चुनेंगे तो महापौर कांग्रेस का होने की संभावना अधिक है। इसी मकसद से सरकार ने कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया और फिर प्रस्ताव वरिष्ठ समिति समिति को भेजा गया।
चर्चा है कि दरअसल इस साल के अंत तक प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव होने हैं। वर्तमान में 16 नगर निगम के महापौर समेत अधिकांश नगर पालिका और नगर परिषद पर भाजपा के अध्यक्ष काबिज हैं, लेकिन प्रदेश में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस इन निकायों पर अपना कब्जा चाहती है। इसी मकसद से अधिनियम में संशोधन के लिए सीएम कमलनाथ ने मंत्रीमंडल की उप समिति का गठन किया था।
कोर्ट जाने की तैयारी में भाजपा –
कांग्रेस सरकार की मंशा भांपते हुए मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने चुनौती देने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। महापौर और निकाय अध्यक्ष का चुनाव सीधे न कराए जाने पर भाजपा सरकार के इस फैसले को कोर्ट में चुनौती देगी। इसके लिए चार पूर्व महापौर सहित रिटायर्ड आईएएस की समिति इस पर मंथन कर रही है। कानूनी राय भी ली जा रही है।

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