नई पॉलिसी को प्रभावी बनाने के लिए पिछले एक साल से इस पर मंथन चल रहा है। इलेक्ट्रिक वाहन बनाने, चार्जिंग कंपनियां, स्टार्टअप्स और विशेषज्ञों के सुझाव के बाद इसे तैयार किया गया है। मप्र सरकार नया ऐप भी तैयार करेगी, इसकी मदद से प्रदेशभर स्लो-फास्ट चार्जिंग स्टेशन, इसके रूट के साथ ईवी वाहनों की कीमत और सुविधाओं में कंपेयर करने जैसी सुविधाएं भी होंगी।
मॉल और बिल्डिंगों में स्टेशन के लिए बदलेंगे नियम
नए भवनों में निजी चार्जिंग पॉइंट स्थापित करने के लिए एकमुश्त अनुदान राशि देने का प्रावधान भी किया गया है। मॉल में भी ई चार्जिंग स्टेशन और अलग से पार्किंग व्यवस्था करने का प्रावधान है। इसके लिए बिल्डिंग कोड में बदलाव किया जाएगा। सरकारी कार्यालय, सार्वजनिक स्थानों पर स्लो-फास्ट चार्जिंग स्टेशन का नेटवर्क स्थापित करने के साथ ही सिंगल विंडो क्लियरेंस करने का प्रावधान है।
कर्नाटक-गुजरात की तर्ज पर अनुदान का प्रावधान
ड्रॉफ्ट में ईवी खरीदने पर कर्नाटक और गुजरात की तर्ज पर अनुदान देने का प्रावधान किया गया है। यहां तीस से चालीस प्रतिशत तक प्रोत्साहन राशि देने से वाहनों की कीमत भी कम हो जाती है। प्रदेश में ईवी पर सिर्फ रजिस्ट्रेशन फीस में ही राहत दी जाती है। 12 प्रतिशत की जगह सिर्फ एक प्रतिशत रजिस्ट्रेशन फीस लगती है। नई पॉलिसी में इसे पूरी तरह खत्म करने का सुझाव है।
रियायती दरों पर जमीन देने का प्रावधान
विभाग ने ईवी को बढ़ावा देने लोन लेने पर ब्याज में छूट, परमिट और रोड टैक्स में छूट के साथ ही स्क्रेपिंग के लिए प्रोत्साहन देने का सुझाव दिया है। साथ ही ईवी चार्जिंग स्टेशन लगाने पर अनुदान तथा शहर में स्टेशनों को लगाने रियायती दरों जमीन उपलब्ध कराने प्रावधान किया गया है। बैटरी स्वैपिंग के लिए भी कैपिटल सब्सिडी देने का भी प्रावधान है। ड्रॉफ्ट के अनुसार ईवी पॉलिसी की जनरल बॉडी और गर्वनिंग बॉडी में बदलाव किया जाएगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पॉवर कमेटी गठित करने का प्रावधान है ताकी सभी विभाग निर्णयों का तत्काल पालन करें। राजस्व से जमीन, ऊर्जा विभाग से बिजली के कनेक्शन की जरूरत होती है।