गांधी मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राकेश मालवीय के मुताबिक नए पैटर्न में छात्रों को पहले साल से ही मरीजों की देखरेख सीखनी होगी। आंतरिक मूल्यांकन के पासिंग मार्क 33 से बढ़ाकर 50 फीसदी होंगे। इसके बाद से आंतरिक मूल्यांकन में अब हर विषय में 50 फीसदी अंक लाने वाले ही वार्षिक परीक्षा में बैठ सकेंगे। यह अंक विषय के कुल प्राप्तांक में जोड़े नहीं जाएंगे, जबकि पहले आंतरिक मूल्यांकन के अंक फाइनल में जोड़े जाते थे।
हर विषय को गंभीरता से पढ़ेंगे
एमसीआइ से मिली जानकारी के मुताबिक नए पैटर्न के बाद छात्रों को अब सभी विषय पढऩे होंगे। एमबीबीएस में पहले साल से ही प्रायोगिक विषय जोड़े गए हैं। प्रमुख विषयों के 14 पेपर होते हैं। तिमाही परीक्षा के आधार पर इनका आंतरिक मूल्यांकन किया जाएगा। अब तक आंतरिक मूल्यांकन 35 अंक के साथ 33 फ ीसदी पासिंग माक्र्स था। अब यह 50 फीसदी अनिवार्य होगा।
पहले छात्र करेंगे फाउंडेशन कोर्स
गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. अरुणा कुमार के मुताबिक नए पाठ्यक्रम के लिए मेडिकल टीचर्स की ट्रेनिंग भी हो चुकी है। अब अन्य कॉलेजों की ट्रेनिंग की जाएगी। एमबीबीएस छात्रों को नए सत्र में पहले विषय पढ़ाने के बजाय पहले फाउंडेशन कोर्स कराया जाएगा। इसमें मेडिकल की बेसिक जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि यह फाउंडेशन कोर्स एक माह का होगा।
सभी कॉलेजों की परीक्षा तय समय पर
मेडिकल यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. आरएस शर्मा ने बताया कि नया पैटर्न सभी मेडिकल कॉलेजों में लागू होगा। इस बार परीक्षा को लेकर एमसीआइ ने टाइम टेबल भी तय कर दिया है। सभी कॉलेजों को तय समय के अंदर परीक्षाएं करानी होंगी।