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सपाक्स ने एट्रोसिटी एक्ट के विरोध का निकाला नया तरीका, अब ऐसे दिखाएंगे अपनी नाराजगी

locationभोपालPublished: Sep 24, 2018 04:37:19 pm

Submitted by:

Amit Mishra

आज रात में 8:30 बजे से 8.45 बजे तक 15 मिनिट तक स्वेच्छा से लाइट बंद कर ब्लैक आउट कर इन मुद्दों के प्रति अपना समर्थन करने को कहा

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सपाक्स ने एट्रोसिटी एक्ट के विरोध का निकाला नया तरीका, अब ऐसे दिखाएंगे अपनी नाराजगी

भोपाल। एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन का विरोध कर रहे सवर्ण समाज के लोगों ने सरकार द्वारा कई तरह की पाबंदियां लगाए जाने के बाद विरोध का नया तरीका निकाल लिया है। इसके तहत सपाक्स की ओर से भोपाल वासियों से सहयोग की अपील भी की गई है।

दरअसल सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सपाक्स समाज) के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि हम ऐसे समस्त कानून एवं नियमों में संशोधन चाहते हैं जो समाज में सद्भावना और समरसता को बिगाड़ने वाले बिगड़ते हैं। वहीं इस बीच प्रधानमंत्री मोदी दिनांक 25 सितंबर को भोपाल प्रवास पर हैं। ऐसे में विरोध रोकने के लिए सरकार ने कई नियम बना दिए हैं।

इसके तहत सरकार ने नियम बनाकर काले झंडे दिखाना या काले गुब्बारे बनाने भी प्रतिबंध लगा दिया है अतः उक्त कार्य किया जाना उचित नहीं हैं।
इसलिए आप सभी भोपालवासियों से मेरी अपील है कि आप 24 सितंबर की रात्रि को रात में 8:30 बजे से 8.45 बजे तक 15 मिनिट तक आप स्वेच्छा से घर की और व्यवसायिक प्रतिष्ठान कीसमस्त लाइट बंद कर ब्लैक आउट कर इन मुद्दों के प्रति अपना समर्थन एवं एकजुटता प्रदर्शित करने का कार्य करें। उनका कहना है कि यह हमारा सरकार और राजनीतिक दलों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए आंशिक प्रयास होगा।

सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण समाज संस्था (सपाक्स समाज) के संरक्षक हीरालाल त्रिवेदी का कहना है कि भारत सरकार ने 2016 में एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन कर जो कानून बनाया उसमें कुछ ऐसे छोटे-मोटे आइटम जोड़ दिए हैं। जिससे किसी जाति का नाम लेना, वैमनस्यता करना, प्रताड़ित करना, गालीगलौज करना, बूरी नीयत से स्पर्श करना, पीछा करना आदि कहने/ करने मात्र से अपमान हो जाता है। सही हो या गलत लेकिन इस पर भी पुलिस रिपोर्ट होने पर जमानत का कोई प्रावधान नहीं है।

उनका कहना है कि इससे पहले माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में गिरफ्तारी के पूर्व जांच के निर्देश दिए, परंतु माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना कर भारत सरकार ने संसद में पुनः एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन कर पुराने प्रावधान फिर से जोड़ दिए गए और उसमें अग्रिम जमानत का प्रावधान भी निरस्त कर दिया गया।

इसके विरोध में सपाक्स समाज लगातार जनता के बीच में मुद्दे रख रहा है। पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में भी मुद्दे माननीय सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन होने के बावजूद भारत सरकार के डीओपीटी मंत्रालय ने समस्त राज्यों को निर्देश जारी कर दिए। यह सब बातें ऐसी है कि समाज में सद्भावना एवं समरसता प्रभावित हो रही है।

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