कुछ तो एेसी है, जिसमें कॉलोनी के पास की खाली जमीन के खसरा नंबर को भी वैध करने सूची में शामिल कर लिया गया है। अवैध कॉलोनियों को वैध करने में कॉलोनाइजर और निगम के संबंधित इंजीनियरों की मिलीभगत का ये बड़ा खेल सामने आने लगा है।
उदाहरण के तौर पर करोद की राजवंश कॉलोनी को लें। इस कॉलोनी के तीन फेस हैं। इस अवैध कॉलोनी के इन तीनों फेस में कुल 153 प्लॉट काटे गए हैं। ये पुरानी कॉलोनी है और नगर निगम से इसका ले-आउट पास है। यानी यहां मकान बनाने के लिए निगम की अवैध कॉलोनी सेल से भवन अनुज्ञा मिल सकती है।
अब इस कॉलोनी के पास करीब आधा एकड़ खाली जमीन है। इसमें कुछ हिस्सा सरकारी और कुछ निजी कृषि भूमि है। कॉलोनी वैध करने की प्रक्रिया में इस खाली हिस्से को भी शामिल कर लिया गया है। राजवंश कॉलोनी के दो खसरों की नौ बटानों को मिलाकर कुल ३.९४ एकड़ जमीन वैध करने की सूची में शामिल की है। इसमें ये पास की जमीन भी शामिल हो गई। यही कहानी 20 एकड़ में विकसित शिवनगर फेस तीन-फेस चार, 3 एकड़ की कैलाश नगर फेस तीन सेमराकलां, किरण नगरी फेस तीन नरेला शंकरी की भी है।
गौरतलब है कि मप्र नगर पालिका (कॉलोनाइजर का रजिस्ट्रीकरण, निर्बधन तथा शर्तें) नियम 1988 के नियम 15 क (1) (तीन) के तहत अवैध कॉलोनियों की सूची जारी की जा रही है। इसमें कॉलोनाइजर और रहवासियों को आपत्ति के लिए 30 दिन का समय दिया जा रहा है। शहर में नगर निगम ने करीब 450 अवैध कॉलोनियां चिह्नित की है। चरणबद्ध तरीके से इन्हें नियमित किया जाएगा।
छुपाया जा रहा डेवलपर का नाम: अवैध कॉलोनी को वैध करने की कवायद में कॉलोनाइजर का नाम छिपाया जा रहा है। निगम की भवन अनुज्ञा शाखा द्वारा जारी तीन सूचियों में ये नहीं बताया गया कि कॉलोनाइजर कौन है। गौरतलब है कि मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 के तहत अवैध कॉलोनी विकसित करने वाले को दस साल तक के कारावास का प्रावधान है।
शासन ने तय किए 13 बिंदु, निगम महज चार बिंदु ही बता रहा : शासन ने कॉलोनी को वैध करने तैयार किए प्रोफार्मा में 13 बिंदुओं में जानकारी भरने के निर्देश दिए। निगम जो आमजन से आपत्ति-सुझाव मंगाने जानकारी का प्रोफार्मा जारी कर रहा है, उसमें महज चार बिंदु ही है। कॉलोनाइजर-डेवलपर का नाम गायब है।
मामले को दिखाने के बाद ही स्थिति स्पष्ट कर पाउंगा। अभी ही मेरी नियुक्ति हुई है।
– विजय सावलकर, चीफ सिटी प्लानर
– विजय सावलकर, चीफ सिटी प्लानर