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अब दमोह उपचुनाव के समय से सक्रियता अलग तरह से नजर आने लगी है। इसके पीछे कई सियासी समीकरण हैं। फिलहाल वे दमोह चुनाव में भितरघात करने वालों पर कार्रवाई चाहते हैं। इसीलिए प्रदेश संगठन से लेकर दूसरे बड़े नेताओं के साथ मेल-जोल बढ़ा रहे हैं। हालांकि प्रहलाद की इस सक्रियता से सियासी गलियारों में यह सवाल भी उठ रहा है कि उनकी इस रणनीति के बैक-सपोर्ट में कौन है। क्योंकि वे दमोह, भोपाल से दिल्ली तक सक्रियता बढ़ाते नजर आए हैं। जानिए, इन बदलते समीकरण विशेष रिपोर्ट…
दमोह के उपचुनाव ने किया सक्रिय
दमोह विधानसभा सीट पर कांग्रेस से आए राहुल लोधी भाजपा प्रत्याशी थे। उन्हें प्रहलाद का करीबी माना जाता रहा है। राहुल को पूर्व सीएम उमा भारती का भी करीबी माना जाता है। जब राहुल भाजपा प्रत्याशी बनकर उतरे तो प्रहलाद पटेल ने समर्थन किया। बावजूद इसके राहुल हार गए। इस पर प्रहलाद की नाराजगी सामने आई। ट्वीट कर इसे अप्रत्यक्ष रूप से षडयंत्र बताया। सुधार की जरूरत बताकर प्रहलाद प्रदेश संगठन से मिलने पहुंच गए। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत से मुलाकात हुई। बरसों बाद ऐसा था कि प्रहलाद प्रदेश भाजपा के धरने में शामिल हुए।
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सूत्र बताते हैं कि प्रहलाद अब भितरघात पर कार्रवाई चाहते हैं। इसमें राहुल लोधी ने पूर्व मंत्री जयंत मलैया और उनके परिवार पर आरोप लगाया है। मलैया पार्टी के पुराने नेता हैं, इसलिए कार्रवाई आसान नहीं है। बावजूद इसके प्रहलाद फिलहाल अपनी घेराबंदी में जुटे हैं। इसके लिए प्रदेश संगठन से लेकर दिल्ली तक सक्रियता रखी। दमोह में भी दौरा किया। पांच मई को कलेक्ट्रेट की बैठक में भी शामिल हुए।
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भाजश में गए, फिर भाजपा में लौटे
प्रहलाद को पूर्व सीएम उमा भारती का कट्टर समर्थक माना जाता है। 2005 में जब उमा ने भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई, तो प्रहलाद भी साथ हो गए थे। 2009 में वे भाजपा में आ गए। 2014 में दमोह लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर सांसद बने। 2009 से 2021 के दमोह उपचुनाव तक प्रहलाद की कोई खास सक्रियता प्रदेश की सियासत में नहीं रही। भाजश से लौटने के बाद साइलेंट सियासत को ही प्रमुखता पर रखा। इतने अरसे बाद अब उनकी सक्रियता प्रदेश और महाकौशल की सियासत में बढ़ी है।
मुद्दों व लोधी-ओबीसी पर पकड़
केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल दमोह क्षेत्र में स्थानीय मुद्दों पर गहरी पकड़ रखते हैं। वर्ष 1980-81 में नर्मदा परिक्रमा करके वे चर्चा में आए। इसके बाद फिर नर्मदा परिक्रमा की। महाकौशल क्षेत्र में उनकी अलग पकड़ है। लोधी और ओबीसी वोट बैंक प्रहलाद के साथ रहा है। अब भी इसी वोट बैंक में प्रहलाद की गहरी पैठ है। पटेल एक बार छिंदवाड़ा से कमलनाथ से भी लोकसभा चुनाव हार चुके हैं।