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वाहन चालक के अलावा 12 सीटर, 23 सीटर और इससे अधिक बैठक क्षमता के हिसाब से फायर फाइटिंग सिस्टम स्थापित करने जरूरी होंगे। स्कूल ऑटो रिक्शा के तौर पर चलाने वाले वाहन में चालक को छोडकऱ छह सवारी बैठाने की पात्रता होगी। ऑटो स्कूल वाहन का तीन पहिया होना जरूरी है। इससे अधिक क्षमता वाले वाहन को स्कूल वैन में गिना जाएगा। पॉलिसी को प्रदेश के सभी जिलों में लागू किया जा रहा है।
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स्कूल वैन पॉलिसी का पालन पूरे प्रदेश में कराने के निर्देश सभी आरटीओ को दिए हैं। नियम विरुद्ध चलने वाले वाहनों को जब्त करने का प्रावधान है। – शैलेंद्र श्रीवास्तव, परिवहन आयुक्त
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मॉडिफिकेशन मान्य नहीं होगा
मैजिक एवं आपे में पीला रंग लगाकर स्कूल वाहन बनाने के मामलों में साफ किया गया है कि इनमें 12 बच्चों के बैठने की जगह होना चाहिए। निर्माता कंपनी की ओर से तैयार डिजाइन के अलावा यदि मॉडिफिकेशन कराया जाता है तो इसे मान्य नहीं किया जा सकेगा। ट्रैवलर एवं बड़ी बसों में 12 से 32 सीटों का होना अनिवार्य है।
12 सीटर से कम क्षमता वाले वाहनों को स्कूल वैन का दर्जा नहीं मिलेगा। पुरानी वैन को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। शहर में जल्द ही ऐसे वाहनों को जप्त किया जाएगा। – संजय तिवारी, आरटीओ
अभिभावक कर सकेंगे निगरानी
नई पॉलिसी में स्कूल बसों के संचालन के मामले में प्रायवेट स्कूल प्रबंधन सहित अभिभावकों के लिए भी अधिकार एवं कर्तव्य तय किए गए हैं। स्कूल प्रबंधन अब अटैच स्कूल बसों के परिचालन के लिए जिम्मेदार रहेंगे। अभिभावकों को स्कूल बसों की निगरानी के लिए समिति बनाने की जवाबदेही सौंपी जाएगी। समिति हर माह बैठक कर स्कूल बसों के बारे में प्रमुख आपत्तियों पर रिपोर्ट कलेक्टर एवं आरटीओ को भेजेगी। परिवहन विभाग ने ये सभी नियम इंदौर डीपीएस बस हादसे के बाद विशेषज्ञों एवं जानकारों से मिले फीडबैक के आधार पर तैयार किए हैं।