केवल छह मंत्रियों के सामने पुराने पराजित प्रत्याशियों को उतारा गया है। वहीं, पिछले चुनाव में करीब 18 मंत्रियों के सामने पुराने चेहरे उतारे थे।
इनके सामने पुराने चेहरे
नरोत्तम मिश्रा, दतिया : कांग्रेस ने राजेंद्र भारती पर दोबारा भरोसा जताया है। भारती पिछली बार 11697 वोट से हारे थे। उन्होंने पेड न्यूज मामले में सुप्रीम कोर्ट जाकर नरोत्तम को पूरे समय परेशान रखा।
सुरेंद्र पटवा, भोजपुर : यहां पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी को दोबारा उतारने से मुकाबला रोचक हो गया है। पचौरी पिछली बार बीस हजार वोटों से हारे थे। पटवा एंटीइंकम्बैंसी से घबराकर सीट बदलना चाहते थे।
भूपेंद्र सिंह, खुरई : यहां कांग्रेस ने अरुणोदय चौबे पर फिर भरोसा किया है। अरुणोदय पिछली बार करीब छह हजार वोटों से हारे थे।
जयभान सिंह पवैया, ग्वालियर : पवैया, कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के धुर विरोधी हैं। यहां प्रद्युमन सिंह तोमर को टिकट दिया गया, जो पिछली बार हारे थे।
रामपाल सिंह, सिलवानी : पिछली बार हारे देवेंद्र पटेल को दोबारा टिकट दिया है। हालांकि, रामपाल सिंह के बेटे के विवाद के कारण कांग्रेस यहां उम्मीदें देख रही थी।
बालकृष्ण पाटीदार, खरगौन : कांग्रेस हारे हुए रवि जोशी को दोाबरा टिकट दिया है।
यहां चेहरे भी बदले तो मुकाबला भी दिलचस्प
राजेंद्र शुक्ल, रीवा : कांग्रेस ने भाजपा से आए अभय मिश्रा को मैदान उतारा है। कांग्रेस ने भाजपा में शुक्ल के प्रतिद्वंद्वी रहे अभय को टिकट देकर भाजपा की सुरक्षित सीट में सेंध लगाने की कोशिश की है। अभय जिला पंचायत अध्यक्ष भी हैं। अभय का ग्रामीण इलाके में मजबूत नेटवर्क है। उनकी पत्नी नीलम भाजपा विधायक हैं।
उमाशंकर गुप्ता, भोपाल-दक्षिण-पश्चिम : यहां पिछली बार कांग्रेस के संजीव सक्सेना 26 हजार वोट से हारे थे। इस बार पीसी शर्मा को उतारकर मुकाबला रोचक बना दिया है। यहां आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल भी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में इस सीट का मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
संजय पाठक, विजयराघोगढ़ : भाजपा-कांग्रेस ने आपस में प्रत्याशी बदल लिए हैं। संजय पाठक 2013 के चुनाव के बाद कांग्रेस छोडकऱ भाजपा में गए और राज्यमंत्री बने। अब कांग्रेस ने भाजपा में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त पद्मा शुक्ला को अपने साथ लाकर टिकट दे दिया। दोनों पुराने प्रतिद्वंद्वी हैं।
विश्वास सारंग, नरेला : पिछली बार पूर्व महापौर सुनील सूद 17 हजार वोटों से हारे थे। इस बार यहां टिकटों की खींचतान के बीच कमलनाथ की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर राहुल गांधी ने महेंद्र सिंह चौहान को टिकट दिया है। महेंद्र पिछली बार शिवराज के सामने बुदनी से चुनाव लड़े थे। महेंद्र केे पराजित प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा थे।
गोपाल भार्गव, रहली : कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार प्रत्याशी बदला है। इस बार कमलेश साहू को मैदान में उतारा है। यह सीट कांग्रेस के लिए दुष्कर सीटों में शामिल है।
यशोधरा राजे सिंधिया, शिवपुरी : पिछली बार बृजेंद्र रघुवंशी हारे थे। इस बार सिद्धार्थ लढ़ा को टिकट दिया है। यहां सिंधिया घराने की विरासत के आधार पर टिकट तय होते हैं। ऐसे में यह सीट कांग्रेस अपने लिए कमजोर मानती है।
अर्चना चिटनीस, बुरहानपुर : हमीद काजी को टिकट दिया तो उन्होंने कोर्ट प्रकरणों के चलते टिकट लौटा दिया। फिर रवींद्र महाजन को उतारा। पिछली बार यहां से अजय सिंह रघुवंशी हारे थे। हमीद काजी भी 2008 में हार चुके हैं।
इनके सामने भी कांग्रेस के नए चेहरे
रुस्तम सिंह, मुरैना : पिछली बार कांग्रेस के रामप्रकाश 1704 वोट से हारे थे। इस बार रघुराज सिंह कंसाना को उतारा।
नारायण सिंह कुशवाह, ग्वालियर दक्षिण : 2013 में रमेश अग्रवाल 16 हजार वोट से हारे। अब प्रवीण पाठक को उतारा है।
जयंत मलैया, दमोह : पिछली बार चंद्रभान पांच हजार से ज्यादा वोट से हारे थे। इस बार राहुल सिंह लोधी को उतारा।
शरद जैन, जबलपुर उत्तर : पिछली बार नरेश सर्राफ 33 हजार से ज्यादा वोट पर हारे थे। अब विनय सक्सेना को उतारा है।
विजय शाह, हरसूद : पिछली बार सूरजभानू सोलंकी 43 हजार से ज्यादा वोट से हारे थे। अब सुखराम साल्वे को उतारा है।
ओमप्रकाश धुर्वे, शहपुरा : पिछली बार गंगाबाई 37 हजार से ज्यादा वोट से हारी थीं। अब भूपेंद्र मरावी को टिकट दिया है।
जालम सिंह पटेल, नरसिंहपुर : पहले सुनील जायसवाल 39 हजार वोट से हारे थे। अब लाखन सिंह पटेल को उतारा है।
ललिता यादव, मलहरा : ललिता छतरपुर सीट बदलकर मलहरा पहुंची हैं। यहां तिलक सिंह लोधी 1500 वोट से हारे थे। अब प्रद्युमन लोधी को उतारा है।
दीपक जोशी, हाटपिपल्या : पिछली बार राजेंद्र सिंह बघेल करीब छह हजार वोट से हारे थे। अब मनोज चौधरी को उतारा है। जोशी सीट बदलना चाहते थे, पर पार्टी नहीं मानी।