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लॉकडाउन के बीच रंगकर्म से तराश रहे नई प्रतिभाएं

locationभोपालPublished: Apr 03, 2020 11:39:03 pm

Submitted by:

hitesh sharma

कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए शहर में लॉकडाउन है, बावजूद इसके शहर के रंगकर्मियों का उत्साह कम नहीं हुआ है।

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भोपाल। कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए शहर में लॉकडाउन है। बावजूद इसके शहर के रंगकर्मियों का उत्साह कम नहीं हुआ है। इस दौरान वे घर पर रहकर ही अपने काम को बाखूबी अंजाम दे रहे हैं। ये रंगकर्मी अपने-अपने तरीकेों से कलाकारों को रंगमंच के लिए तैयार करने में जुटे हुए हैं।

 

बच्चों को थिएटर एक्ससरसाइज करा रहा हूं
कोरोना वायरस की वजह से शहर में लगे कफ्र्यू के दौरान खाली समय में भी अपने रंगसफर को घर पर ही जारी रखते हुए थिएटर क्लास ले रहा हूं। सभी बच्चों को साथ में लेकर रोज कुछ न कुछ रचनात्मक कार्य करता हूं। बच्चों को लेखक विश्वबंधु का नाटक खर्राटा-रिसर्च केंद्र और रेखा जैन की कहानी अप्सरा का तोता पढ़कर सुना रहा हूं। कहानियां बच्चों के लिए बहुत जरूरी हैं लेकिन नेट और मोबाइल के इस दौर वाली नस्ल को पता ही नहीं है कि नानी-दादी के जरिए कहानी सुनने का क्या रोमांच होता है और इससे कैसे बच्चों की कल्पनाशीलता बढ़ती है। बच्चों को थिएटर एक्ससरसाइज करा रहा हूं। साथ ही उनको कहानियां सुनाने के साथ बच्चों को क्रिएटिविटी वर्क भी सीखा रहा हूं।
सरफराज हसन, नाट्य निर्देशक

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नाटक के संगीत पर कर रहा हूं काम
मैं अपने समय का सदुपयोग कर विष्णुदत्त शर्मा की कहानी बगुला भगत की स्क्रिप्ट तैयार करने में लगा हूं। जिसे पूरो होने में चार से पांच दिन का समय लगेगा। इसके बाद इसमें संगीत और गीत तैयार करूंगा। इस मुश्किल समय में भले ही रिर्हसल बंद हो गई हो, लेकिन थिएटर के नए कलाकार भी फोन और ऑनलाइन अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं। मैं ऑनलाइन आकर उनकी तैयारियां देखता हूं। मुझे जहां भी सुधार की गुंजाइश दिखती हैं, मैं उन्हें टिप्स देता हूं। रंगकर्मी हर परिस्थिति का सामना करने को हमेशा तैयार रहता है।
प्रेम गुप्ता, वरिष्ठ रंगकर्मी

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ये सृजन का समय है

हमारी संस्था रंग माध्यम से जुड़े 20 से 25 कलाकार सेल्फ स्टडी में लगे हुए हैं। हम लोग बीच-बीच में सूचनाओं का आदान- प्रदान करते हैं। मैं बर्तोल्त ब्रेख्त के नाटक ‘मदर करेज एंड हर चिल्ड्रेन’ का हिंदी अनुवाद कर रहा हूं। पुराने अधूरे लिखे छूट गए नाटकों को पूरा करने के लिए तैयारी कर रहा हूं।भले ही अब हम ऑडिटोरियम में जाकर नाटक कर नहीं सकते, देख नहीं सकते, लेकिन इस समय में सृजन कर रहे हैं।
दिनेश नायर, थिएटर आर्टिस्ट

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हमें प्रकृति का दोहन रोक इसे वापस लौटाना होगा

लाकॅडाउन के समय में हर दिन को वैसे ही फॉलो कर रही हूं जैसा ऑफिस और रंगमंच कार्यशाला में करती हूं। अलग-अलग लेखक की स्क्रिप्ट पढऩे के साथ-साथ स्वयं डॉ. भीमराव अंबेडकर पर एक नाटक लिख रही हूं। हालात ठीक होते ही कार्यशाला शुरू की जाएगी।एक कलाकार का सफर कभी थमता नहीं है। फिलहाल बच्चों को वीडियो कॉल और फोन की मदद से तैयार करने में जुटी हुई हूं। इसके साथ ही कोरोना वायरस के ऊपर भी एक नुक्कड़ नाटक लिख रही हूं, ताकि देश के लोगों को अवेयर कर सकूं। अब वक्त आ गया है कि जब ये बात की जाए कि आखिर हम बार-बार क्यों इस तरह के संक्रमणों से गुजर हैं। रंगमंच समाज को जागृत करने का एक सशक्त माध्मय है। मैं रंगकर्म के माध्यम से लोगों में ये अवेयरनेस लाना चाहती हूं कि अब शाकाहार को अपनाने का वक्त आ गया है। हमें प्रकृति का दोहन रोक इसे वापस लौटाना होगा।
सिन्धु धोलपुरे, रंगकर्मी

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