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संसद पहुंचे नए चेहरे बढ़ाएंगे परिवार की सियासी विरासत

locationभोपालPublished: May 27, 2019 02:04:16 am

जिस सीट से पिता-मां रहे सांसद बेटी ने वहीं से जीता चुनाव

banswara

Lok sabha election date in Chhindwara

भोपाल। प्रदेश चुनकर संसद पहुंचे 16 चेहरों में कई सांसद परिवार की भी सियासी विरासत को बढ़ाएंगे। छिंदवाड़ा से नकुलनाथ शहडोल से हिमाद्री सिंह और ग्वालियर से विवेक शेजवलकर को अपनी पिता की सीट से मैदान में उतरने और सांसद बनने का मौका मिला है।
छिंदवाड़ा से नकुलनाथ ने राजनीतिक पारी शुरू की है। जहां से उनके पिता कमलनाथ नौ बार सांसद रहे हैं और अब प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। शहडोल हिमाद्री की पैतृक सीट बन गई है। पहले उनके पिता दलवीर सिंह कांग्रेस से सांसद बने और केंद्र में मंत्री रहे, उनके निधन के बाद मां राजेश नंदनी सिंह सांसद बनी थीं। एक दशक के बाद पुत्री पर उसी सीट से जीत हासिल कर विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है।
उधर, विवेक शेजवलकर के पिता नारायण शेजवलकर 1977 और 80 में ग्वालियर से दो बार सांसद निर्वाचित हुए थे। 39 साल बाद पिता की सीट से विवेक चुने गए। खरगोन से निर्वाचित सांसद गजेंद्र पटेल उस मुकाम पर पहुंचे हैं, जहां उनके पिता नहीं पहुंच पाए थे। गजेंद्र के पिता उमराव सिंह खरगोन जिले से विधायक रहे और राज्य सरकार में शिक्षा मंत्री रहे। लेकिन संसद नहीं पहुंच पाए थे।
अब गजेंद्र पिता की विरासत को आगे ले जाने को तैयार हैं। उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया भी अपने पिता भूरेलाल फिरोजिया से आगे निकल गए। भूरेलाल तराना से विधायक रहे हैं, अनिल भी २०१३ में इस सीट से जीते थे। लेकिन, 2018 विधानसभा चुनाव में हार मिली। भाजपा ने उनपर फिर भरोसा जताया और वे लोकसभा चुनाव में जीते।
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