भोपाल

NGO को साल में एक काम देने का नियम, दो काम दिए, आपत्ति ली तो स्पष्टीकरण मांग लिया

मेपकास्ट: चीफ साइंटिस्ट ने डीजी पर लगाए आरोप

भोपालAug 04, 2018 / 07:53 am

Rohit verma

NGO को साल में एक काम देने का नियम, दो काम दिए, आपत्ति ली तो स्पष्टीकरण मांग लिया

भोपाल. मप्र विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी परिषद (मेपकास्ट) की विज्ञान लोक व्यापारीकरण टीम प्रमुख चीफ साइंटिस्ट डॉ. आरके आर्या ने डीजी डॉ. नवीन चंद्रा पर सनसनीखेज आरोप लगाए। आर्या ने डीजी को ही पत्र लिखकर बताया कि एनजीओ रफी अहमद किदवई शिक्षा समिति भोपाल को एक साल में दो कार्यक्रम स्वीकृत हो गए, जबकि नियम एक का है।

भुगतान की नस्ती पर उन्होंने नियमावली देख लेने की टीप लगाकर नस्ती लौटाई तो डीजी नाराज हो गए। चंद्रा ने आदेश जारी कर दिए कि आर्या के पास नस्ती न भेजी जाए। स्पष्टीकरण भी मांगा। आरोप लगाया कि आदेश क्रमांक 414/सीएसटी/स्थापना/2018 दिनांक 17 मई 2018 के तहत विज्ञान लोक व्यापीकरण से संबंधित प्रस्ताव बायपास कर अधिनस्त वैज्ञानिक से प्रक्रिया पूरी कराई गई।

आर्या इतने व्यथित हुए कि खुद को लोक व्यापीकरण के समूह से प्रमुख के पद से कार्यमुक्त करने का निवेदन कर लिया। मामले में पत्रिका ने डीजी से चर्चा की तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

तीन डीजी बदले पर स्थिति में सुधार नहीं
मेपकास्ट में तत्कालीन डीजी प्रमोद वर्मा के कार्यकाल में 45 रुपए की एक काजू कतली खरीदी का मामला सामने आया था। पत्रिका ने खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद जांच हुई और टेंडर रद्द किया गया। अब तक तीन डीजी नियुक्त किए जा चुके हैं, पर स्थिति में सुधार नहीं हुआ।

इसके बाद गुना के इंजीनियरिंग कॉलेज को जमकर प्रोजेक्ट देकर उपकृत किया गया। यहां पर कैटरिंग, टेंट, वाहन, सुरक्षा समेत अन्य काम बिना टेंडर ही मनमर्जी से अपने वालों को देने का घोटाला सामने आया।

इसके बाद वर्मा को हटाया गया और वैज्ञानिकों को दे रखे स्टोर, टेंडर के कामप्रदेश में विज्ञान का प्रचार-प्रसार और लोगों को लाभ दिलाने स्थापित परिषद के वैज्ञानिक स्टोर, टेंडर और इसी तरह के अन्य कामों में लगाए गए हैं। पत्रिका ने इस मामले को भी प्रमुखता से उठाया था। अब एनजीओ को नियम विरुद्ध काम देने का मामला सामने आया है।

मैं इस मामले को दिखवाता हूं। पहले भी काफी कार्रवाई की जा चुकी है। वैज्ञानिकों की शिकायतें भी आई है। इसपर विभाग स्तर पर चर्चा कर रहा हूं। — उमाशंकर गुप्ता, मंत्री विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी

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