script5 साल तक लड़ी किसान ने कानूनी लड़ाई, अब रिलायंस कंपनी से मिलेगा 50 लाख से ज्यादा का हर्जाना | NGT decision Reliance will pay more than 50 lakhs damages to the farme | Patrika News

5 साल तक लड़ी किसान ने कानूनी लड़ाई, अब रिलायंस कंपनी से मिलेगा 50 लाख से ज्यादा का हर्जाना

locationभोपालPublished: Aug 15, 2020 07:25:15 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

मध्यप्रदेश के एक किसान ने 5 साल तक अपने हक की लड़ाई लड़ी और अब उसके पक्ष में फैसला आया है जिसके बाद रिलायंस कंपनी उसे 50 लाख रुपए से भी ज्यादा का हर्जाना देगी..

भोपाल. सिंगरौली जिले के हर्रारवा गांव के किसान कृष्णदास शाह आखिरकार जिस पल का इंतजार बीते 5 साल से कर रहे थे वो आखिर आ ही गया। पांच साल की कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया है। एनजीटी ने किसान कृष्णदास की उस शिकायत को सही माना है जिसमें उन्होंने रिलायंस सासन पावर प्रोजेक्टर लिमिटेड के कैमिकल युक्त पानी के रिसाव से खेत खराब होने की बात कही थी।

किसान को हर्जाना दे रिलायंस कंपनी- एनजीटी
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने किसान कृष्णदास शाह के पक्ष में फैसला सुनाते हुए रिलायंस सासन पावर प्रोजेक्ट लिमिटेड को आदेश दिया है कि वो किसान को नुकसान के तौर पर 46.84 लाख रुपए का हर्जाना दे। साथ ही ये भी कहा गया है कि कंपनी को ये राशि साल 2016 से सालाना 6 फीसदी ब्याज सहित किसान को देनी होगी। इस हिसाब से पैसे का ब्याज करीब 2.79 लाख रुपए होता है । एनजीटी ने कानूनी लड़ाई में होने वाले खर्च के तौर पर किसान को एक लाख रूपए अलग से किसान को देने का भी आदेश दिया है। एनजीटी ने कहा है कि रिलायंस कंपनी किसान को ये पैसा उसके 10 साल से हो रहे नुकसान के एवज में देगी।

कलेक्टर के पास कंपनी जमा कराए पैसे- एनजीटी
एनजीटी ने अपना फैसला सुनाते हुए रिलायंस कंपनी को आदेश दिया है कि वो हर्जाने की राशि को सिंगरौली कलेक्टर के पास जमा कराएं। कलेक्टर इस राशि को किसान और उसके चार भाईयों को देंगे। किसान की शिकायत को सही मानते हुए एनजीटी ने ये भी माना है कि पावर प्रोजेक्ट से निकलने वाले कैमिकल के रिसाव की वजह से ही किसान की खेती बर्बाद हो रही है। वहीं किसान कृष्ण शाह ने बताया कि 2010 के बाद से खेत में पानी भरने से उसकी फसल खराब हो जाती थी। खेत में कुछ भी पैदा नहीं होता था। इसकी शिकायत लेकर उसने प्रशासन के चक्कर काटे और एनजीटी में शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई थी। एनजीटी के आदेश के बाद कलेक्टर ने नुकसान का आंकलन कर साल 2019 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी और इसी आधार पर अब एनजीटी ने ये हर्जाना तय किया है।

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