एनजीटी की दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा बलवंत सिंह रघुवंशी की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता के एडवोकेट धर्मवीर शर्मा ने सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल को बताया कि वर्तमान में इंसीनरेटर का पूरा संयंत्र आबादी वाले इलाके में लगा हुआ है। इससे आसपास के रहवासियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए इसे यहां से हटाकर शहर से दूर शिफ्ट किया जाना चाहिए। शर्मा ने इस संबंध में हाईकोर्ट के फैसले और सीपीसीबी की इंसीनरेटर संबंधी गाइडलाइन का भी हवाला दिया। उन्होंने बेंच को बताया कि एनजीटी के निर्देश सीपीसीबी की गाइडलाइन के बावजूद इंसीनरेटर प्रबंधन ने अभी तक पर्यावरणीय अनुमति भी नहीं ली है। इससे यहां पर्यावरणीय नियमों का भी पालन नहीं हो रहा है। इससे भी पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। हालांकि भोपाल इंसीनरेटर की तरफ से बताया गया कि पर्यावरणीय अनुमति संबंधी नियम उनके ऊपर लागू नहीं होते हैं। एनजीटी ने सभी संबंधित पक्षों से उनका पक्ष पेश करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को तय की गई है।
इंसीनरेटर के पास मानकों के अनुसार जमीन भी नहीं
ट्रिब्यूनल में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से यह भी बताया गया कि गोविंदपुरा में भोपाल इंसीनरेटर के पास पर्याप्त जमीन भी नहीं है। मापदंडों के अनुसार कॉमन फेसिलिटी के लिए कम से कम 1 एकड़ जमीन होना चाहिए। लेकिन भोपाल इंसीनरेटर के पास सिर्फ 15 हजार वर्ग फीट जमीन ही उपलब्ध है। इससे भी यहां पर सभी व्यवस्थाएं ठीक से सुनिश्चित नहीं हो पा रही हैं।