एनजीटी प्रिंसिपल बेंच ने सोमवार को कुंवर मोहम्मद अली ताजवर की याचिका पर सुनवाई की। पिछली सुनवाई में एनजीटी ने इसकी मौके पर जाकर जांच करने के लिए समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें बताया गया है कि नगर निगम ने आदर्श मत्स्योद्योग सहकारी संस्था को छोटे तालाब में मत्स्यपालन की लीज दी थी। लेकिन संस्था ने लीज एग्रीमेंट का उल्लंघन किया है। इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ फिशरीज विभाग को भी इस संबंध में कार्रवाई करना चाहिए। इसके साथ छोटे तालाब को जो नुकसान संस्था ने किया है, उसके लिए उस पर पर्यावरणीय क्षति जुर्माना लगाया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के वकील रोहित शर्मा ने बताया कि एनजीटी ने पीसीबी के अधिकारियों को पर्यावरणीय क्षति जुर्माना का आकलन करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद यह राशि संबंधित संस्था से वसूली जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को तय की गई है।
यह है मामला नगर निगम ने छोटा तालाब फिशिंग के लिए आदर्श मत्स्योद्योग सहकारी समिति को लीज पर दिया हुआ है। जिससे लोगों को खाने के लिए अच्छी मछली मिल सकें। हाल ही में पाया गया कि समिति द्वारा मछलियों को पकडऩे के लिए मिट्टी के बड़े गोलों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में मछलियां एक साथ पकड़ी जा सकें। इन गोलों को डालने से मछलियां पानी में ऊपर की ओर आती हैं और इन्हें आसानी से पकड़ लिया जाता है। लेकिन इस कारण हजारों छोटी मछलियां मर गईं। इसके बाद नगर निगम ने बड़ी मात्रा में रखे गए इन मिट्टी के गोलों की जांच सीएसआईआर की इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलोजी लखनऊ से कराई। लैब से जो जांच रिपोर्ट मिली उसमें बताया गया कि इन गोलों में लैड, सायनायड और क्लोरीन जैसे रासायनिक पदार्थ मौजूद हैं। जिससे बड़ी संख्या में मछलियां मरी, जिन्हें निकालकर बाजार में बेच दिया गया। जिससे रसायन युक्त यह मछलियां हजारों लोगों ने खाई, उनके स्वास्थ्य को भी खतरा पैदा हो गया।