एनजीटी में भोपाल के बड़ा तालाब, छोटा तालाब, मोतिया तालाब, सिद्दीक हसन तालाब के संरक्षण को लेकर अलग-अलग याचिकाएं लगी हैं। अब इन सबको एक साथ मिलाकर ट्रिब्यूनल द्वारा सुनवाई की जा रही है। इस संबंध में हाल ही में शासन और नगर निगम की तरफ से रिपोर्ट पेश की गई। इसे देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि सरकारी एजेंसियां किस तरह से पर्यावरण संबंधी कानूनों के प्रति उपेक्षा का भाव रखती हैं।
जवाब से समझें कैसे पत्राचार में उलझा तालाब का संरक्षण बड़ा तालाब में भदभदा के किनारे अवैध कब्जों को लेकर आर्या श्रीवास्तव की याचिका पर एनजीटी ने यहां चिन्हित निर्माण हटाने के निर्देश दिए हैं। इसके संबंध में नगर निगम ने अपने जवाब में बताया है कि नवंबर 2021 में इसे लेकर जिला कलेक्टर, टीटी नगर एसडीएम और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की गई। इसके बाद लेक कंजर्वेशन सैल के एडिशनल कमिश्नर और चीफ इंजीनियर हाउसिंग फॉर ऑल को भी तालाब किनारे की झुग्गियों के सर्वे के लिए पत्र लिखा गया। ट्रिब्यूनल के आदेश पर जॉइंट टीम झुग्गियों के विस्थापन के सर्वे के लिए गई लेकिन वहां मौजूद लोगों ने इसका विरोध किया और सर्वे पूरा नहीं हो पाया। झुग्गीवासियों का कहना था कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है। इसी बीच दलित सेना मप्र नाम के संगठन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तालाब किनारे रहने वाले लोगों को नहीं हटाने की मांग की। सीएम के उपसचिव ने जिला कलेक्टर अविनाश लवानिया को जांच और आवश्यक कार्रवाई के लिए पत्र लिखा। कलेक्टर ने नगर निगम को यह पत्र भेज दिया। इसके बाद दलित सेना ने एक पत्र नगर निगम को भी लिखा जिसमें खसरा नंबर सहित बताया गया कि यह जमीन निजी है। यह पत्र भी नगर निगम ने तुरंत एसडीएम टीटी नगर को भेज दिया कि वे यह खसरा नंबर की जांच कराकर बताएं कि यह निजी है या शासकीय जमीन है। लेकिन अभी तक यह जांच नहीं हो पाई है। नगर निगम ने अन्य तालाबों के संबंध में भी गोलमोल जवाब दिया है कि वहां पर नालों का मिलना रोकने की कार्रवाई जारी है।
यह उठ रहे सवाल - सर्वे का विरोध करने वालों पर पुलिस के साथ सख्ती क्यों नहीं की गई जबकि निगम अमला कई छोटे मामलों में भी पुलिस का सहयोग लेता है। - नगर निगम द्वारा इसके पहले सौंपी रिपोर्ट में बताया था कि भदभदा के पास 227 कब्जे हैं। तो क्या इतने लोगों को विस्थापित करने के लिए कोई तैयारी की गई।
- मोतिया तालाब में मिल रहे दो नालों को महोली दामखेड़ा एसटीपी की ओर डायवर्ट करने की बात नगर निगम ने की है लेकिन सिद्दीक हसन खां तालाब में 41 अस्पतालों द्वारा डाले जा रहे लिक्विड वेस्ट के संबंध में कुछ नहीं कहा है।
एनजीटी ने कहा सरकारी एजेंसियां गंभीरता से निभाएं ड्यूटी एनजीटी ने मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट कहा कि सभी सरकारी एजेंसियां एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल रही हैं। उन्हें इन एजेंसियों के आंतरिक पत्राचार से कोई मतलब नहीं है। उन्हें तो पर्यावरण संबंधी आदेशों और नियमों का पालन चाहिए। ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिए कि सभी शासकीय एजेंसियां आपसी तालमेल और अपने कर्तव्यों का गंभीरता से पालन करें और सरकार की जमीन को कब्जों से बचाएं। सरकार इसके लिए ही सरकारी अधिकारियों को वेतन दे रही है। तालाबों सीवेज और केमिकल्स के डिस्चार्ज को भी तत्काल रोकें।
------- एनजीटी से जो निर्देश मिले हैं उनके अनुसार कार्रवाई प्रचलित है। सरकारी कामों की एक प्रक्रिया होती है उसी के तहत काम किए जा रहे हैं। - केवीएस चौधरी, नगर निगम आयुक्त