एनजीटी सेंट्रल जोनल बेंच में मंगलवार को ग्रीन एंड ग्रीन लॉयर्स की ओर लगाई गई याचिका पर सुनवाई हुई। एडवोकेट सचिन वर्मा ने सुनवाई के दौरान स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन द्वारा एनजीटी द्वारा 25 फरवरी को दिए गए आदेश का उल्लंघन किए जाने का मामला उठाया। इस पर ट्रिब्यूनल ने नाराजगी जताई।
स्मार्ट सिटी ने दिया जवाब स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन की तरफ से दिए गए जवाब में बताया गया कि 10 प्रतिशत ग्रीन बेल्ट में टी.टी. नगर स्टेडियम व दशहरा मैदान को शामिल करने की बातें गलत हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना में 10 प्रतिशत ग्रीन बेल्ट के स्थान पर 11.23 प्रतिशत ग्रीन बेल्ट विकसित करने का प्रावधान है। इसके अलावा सडक़ों के किनारे 3 प्रतिशत एवं भू-खण्डों में 1.40 प्रतिशत ग्रीन बेल्ट का प्रावधान है। इस प्रकार कुल 15.63 प्रतिशत क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट विकसित करने का प्रावधान है। स्मार्ट सिटी की तरफ से एडवोकेट गुंजन चौकसे ने बताया कि यह पेड़ सभी शासकीय अनुमतियां लेने के बाद काटे गए थे। सीपीए को काटे गए पेड़ों की क्षतिपूर्ति के रूप में लगभग 2.50 करोड़ रुपये की राशि जमा कराई जा चुकी है। इसके ऐवज में एबीडी एरिया में ओपन स्पेस और सड़क किनारे जल्द पौधारोपण किया जाएगा। हालांकि एनजीटी ने जवाब में प्रयोग किए गए शब्दों पर नाराजगी जताई। इसके साथ इस जवाब पर याचिकाकर्ता को पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। एनजीटी ने राज्य शासन व संचालक, टीएंडसीपी को 17 अप्रैल को उपस्थित होने के आदेश दिए हैं।
यह है मामला याचिका में बताया गया है कि ग्रीन बेल्ट के लिए जो मापदंड बने हुए हैं, टीटी नगर में विकसित हो रही स्मार्ट सिटी में उसका पालन नहीं किया गया। यहां पर 6 हजार से अधिक पेड़ों को काट दिया गया है। इस क्षेत्र में ट्रैफिक के कारण लगातार वायु और ध्वनि प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। टीटी नगर में इन समस्याओं को कम करने के लिए बफर जोन का काम करने वाले करीब डेढ़ हजार पेड़ भी काट दिए गए। स्मार्टसिटी के मास्टर प्लान में ग्रीन स्पेस ही तय नहीं की। 342 एकड़ में 17 प्रतिशत क्षेत्र में खुले क्षेत्र के साथ ग्रीन स्पेस जोड़ दिया गया।