शुल्क-3: अपने बैंक खाते से एटीएम से ट्रांजेक्शन पांच बार से अधिक होने पर 10 रुपए प्रति ट्रांजेक्शन साथ में जीएसटी।
शुल्क-7: बालेट से खाते में फंड ट्रांसफर पर 2.5 प्रतिशत साथ में जीएसटी।
इन केसों से समझें आपके रुपए पर बैंक कितने लापरवाह
केस-1
जनवरी 2018: खजूरी कला निवासी पान-मसाला कारोबारी कैलाश राजपूत ने ऑनलाइन शापिंग एप के जरिए शर्ट बुक की। जालसाज ने उनके खाते से जानकारी लेकर 23 हजार रुपए उड़ा दिए। कई घंटे बाद ट्रांजेक्शन का मैसेज आया। अब भी पैसा वापस नहीं मिला।
केस-2
जनवरी 2017: चौकसे नगर निवासी टमाटर कारोबारी राजेन्द्र सैनी के बेटे से जालसाज ने एटीएम की जानकारी पूछकर 84 हजार रुपए निकाले। तीन घंटे बाद उन्हें ट्रांजेक्शन का मैसेज मिला। अब तक रकम बैंक से वापस नहीं मिली।
केस-3
अप्रैल-जून 2018: मिसरोद के दानिश नगर गेट के पास एसबीआई का एटीएम काटकर बदमाश पौने पांच लाख रुपए ले गए। पिपलानी में एसबीआई के एटीएम का पासवर्ड डालकर 13.80 लाख रुपए चोरी कर ले गए। दोनों घटनाओं में बैंक को अलर्ट तक नहीं मिला।
2017-18 में सवा छह करोड़ ठगे, 70 लाख रिफंड कराए
साइबर जालसाजों ने वर्ष 2017 में 5,02,34,324 करोड़ रुपए की ठगी की है। इसमें करीब 59 लाख की राशि साइबर सेल ने रिफंड कराई। इसी तरह जनवरी 2018 से अब तक सवा करोड़ रुपए से अधिक की रकम ठगने में जालसाज कामयाब रहे।
– 2017 में एटीएम, ओटीपी, क्रेडिट कार्ड से ठगी की 1356 शिकायतें साइबर सेल में दर्ज हुईं।
– कुल साइबर अपराधों में 58 प्रतिशत बैंकिंग फ्राड को अंजाम दे रहे हाइटेक जालसाज।