वित्त विभाग ने अक्टूबर माह में राज्य कर्मचारियों को तीन प्रतिशत अतिरिक्त डीए देने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था। राज्य सरकार इस पर कोई निर्णय लेती इसके पहले ही केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए पांच प्रतिशत अतिरिक्त डीए देने का एलान कर दिया। इससे सरकार का गणित गड़बड़ा गया, क्योंकि खजाने की आर्थिक सेहत ज्यादा अच्छी नहीं है। किसी तरह तीन प्रतिशत डीए के लिए राशि का प्रबंध किया गया था। अब दो प्रतिशत अतिरिक्त प्रबंध के लिए माथापच्ची करना पड़ रही है।
सूत्रों का कहना है कि वित्त विभाग ने दोबारा प्रस्ताव तैयार किया जिस पर अधिकारी-कर्मचारियों के लिए पांच प्रतिशत अतिरिक्त डीए दिए जाने का जिक्र था। राज्य सरकार ने हाल ही में अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के लिए पांच प्रतिशत डीए तो कर दिया लेकिन राज्य के अधिकारी-कर्मचारियों का मामला फिर अटक गया। उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस एक नवम्बर को कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त डीए का तोहफा देने का एलान करेंगे। लेकिन इसका एलान नहीं होने से कर्मचारियों में निराशा बढ़ी।
एक हजार करोड़ का आर्थिक बोझ –
सरकार के फार्मूला के तहत राज्य कर्मचारियों को एक प्रतिशत डीए पर 200 करोड़ रुपए अतिरिक्त बोझ आता है। पांच प्रतिशत अतिरिक्त डीए दिए जाने पर खजाने पर एक हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ आएगा।