यदि केंद्रीय दल एक हफ्ते और नहीं आता है तो राज्य से अफसरों का दल केंद्र सरकार के पास मदद मांगने जाएगा। इसके हिसाब से सरकार ने रणनीति बनाना शुरू कर दिया है, क्योंकि मैदान में राहत राशि की कमी के कारण दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं।
सरकार अभी तक अपने स्तर से मदद भेज रही थी, लेकिन तबाही के अनुपात में यह कम है। यही वजह है कि केंद्र से 9000 करोड़ की मदद मांगी है।
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दरअसल, केंद्र का एक दल बीते दिनों बाढ़ और बारिश से नुकसान का आकलन करके गया है, लेकिन इस दल ने दोबारा आकलन की जरूरत बताई थी। क्योंकि उस समय बारिश जारी थी, इसलिए पूरा आकलन नहीं हो पाया था।
प्रदेश सरकार ने भी बारिश के कारण पूरा आकलन होने में समय लगने का हवाला दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। कमलनाथ ने उनसे आकलन दल दोबारा भेजने की मांग की थी।
प्रदेश सरकार ने दोबारा अपने नुकसान का पूरा आकलन केंद्र को भेजकर मदद मांगी है। इसमें करीब 17000 करोड़ का नुकसान होना बताया गया है। सबसे ज्यादा नुकसान सोयाबीन की फसल का हुआ है। इसे लेकर मैदानी सर्वे भी चल रहा है।
39 जिलों में हुई बारिश से तबाही
60.47 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की फसलें बर्बाद
16204 करोड़ रुपए की फसलों का अनुमान
55372 कच्चे-पक्के मकान ध्वस्त हुए
2285 करोड़ की सरकारी सम्पत्ति नष्ट
674 लोगों की आकाशीय बिजली से मौत
1515 दुधारू पशुओं की मौत बारिश से
– गोविंद सिंह राजपूत, राजस्व मंत्री