स्पीकर द्वारा 17 मार्च को लिखे पत्र के चंद घंटों के बाद ही राज्यपाल ने भी उन्हें जवाब पत्र भेज दिया। इसके लिए राजभवन सचिवालय मंगलवार देर रात जागता रहा। इस पत्र में स्पीकर ने बेंगलुरू में विधायकों के बंधक होने और उने संकट में होने की बात लिखी थी।
इस जवाबी पत्र में राज्यपाल ने लिखा ‘मैं माननीय सदस्यों की अनुपस्थिति के कारण उनकी सुरक्षा के संबंध में आपकी चिंता की प्रशंसा करता हूं। पिछले आठ-दस दिनों से आप जिस पीड़ा से गुजर रहे होंगे मैं उसका अंदाजा लगा सकता हूं। यद्यपि इन दिनों में आपके द्वारा सदस्यों की जानकारी प्राप्त करने बाबत किए गए प्रयासों का उल्लेख आपके पत्र में नहीं है, फिर भी मैं मानता हूं कि आप ने समुचित प्रयास किए होंगे।
राज्यपाल ने लिखा है, ‘जहां तक विधायकों के त्यागपत्र को स्वीकार किए जाने का सवाल है, मैं आपके द्वारा 22 में से 6 विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के निष्पक्ष, साहसपूर्ण एवं शीघ्र किए गए निराकरण की प्रशंसा करता हूं। आप अध्यक्ष होने के नाते भली-भांति परिचित होंगे कि किसी विधायक का इस्तीफा स्वीकार करने और उनके अनुपस्थित होने पर किस प्रकार की प्रक्रिया अपनाई जाना चाहिए।
हालांकि विधायकों के त्यागपत्र के आवेदन के निराकरण में आपको हो रहे असमंजस का भी मुझे आभास है। राज्यपाल ने स्पीकर को सम्बोधित पत्र में लिखा कि आपने विधायकों की सुरक्षा की मांग की है जबकि प्रदेश के सभी नागरिकों की सुरक्षा का दायित्व कार्यपालिका का है और आप उससे ही सुरक्षा चाहते होंगे। ऐसा लगता है कि शायद आपने गलती से यह पत्र मुझे भेज दिया गया होगा।