इसी प्रकार सुभाष नगर रेलवे ओवर ब्रिज पर पिछले एक माह से स्टील गर्डर रखने की तैयारियां पूरी कर पीडब्ल्यूडी रेलवे की मंजूरी के इंतजार में बैठा है। डीआरएम का कहना है कि रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की मंजूरी के लिए पत्र लिख दिया है। सुभाष आरओबी की समय सीमा भी जुलाई 2019 तक बढ़ा दी गई है। ये दो उदाहरण हैं जिसके चलते शहर की करीब आधी आबादी रोज प्रभावित हो रही है।
कहां क्या आ रही दिक्कत
बावडिय़ाकला ब्रिज : यहां रेलवे ट्रैक के ऊपर स्टील गर्डर रखने के बाद काम हुआ है। समय सीमा में तीन बार इजाफा किया जा चुका है। फाटक के 100 से ज्यादा बार बंद रहने की वजह से अभी प्रतिदिन यहां से गुजरने वाले ज्यादातर वाहन 10 नंबर चौराहे से घूमकर फ्रेक्चर अस्पताल के सामने से होकर सावरकर सेतू के नीचे से गुजरते हुए होशंगाबाद रोड और बीआरटीएस पर आते हैं। आरओबी बनने के बाद यही गाडिय़ां सीधे ब्रिज से गुजरेंगी।
सुभाष फाटक: ब्रिज रेलवे बोर्ड की मंजूरी नहीं मिलने से ट्रैक पर गर्डर लांचिंग नहीं हो पा रही है। समय सीमा दो बार बढ़ाई गई है। ब्रिज की चौड़ाई 12 मीटर रखी गई है और यहां प्रतिघंटा 7 हजार पैसेंजर वाहनों के गुजरने की क्षमता विकसित की जाएगी। इस इलाके में फिलहाल पुल बोगदा और सुभाष फाटक के जरिए वाहनों को प्रभात चौक और रायसेन रोड से कनेक्टिविटी मिलती है जिन्हें नए रेलवे ओवर ब्रिज से सीधे प्रभात चौराहे तक डायवर्ट किया जाएगा।
रोजाना रेलवे फाटक क्रॉस करने मजबूर एक दर्जन कालोनियों के रहवासी
इधर सुभाष आरओबी पर गर्डर रखने रेलवे सेफ्टी कमिश्नर से नहीं मिल रही मंजूरी
दिसंबर 2018 तय की थी डेडलाइन, तीसरी बार की गई 6 माह की वृद्धि
बावडिय़ा और चेतक पर रेलवे का काम पूरा हो चुका है। सुभाष नगर आरओबी पर गर्डर रखने की मंजूरी नहीं आई है इसलिए देरी हो रही है।
शोभन चौधुरी, डीआरएम
फंड जमा करने के बावजूद होशंगाबाद रोड से नर्मदा लाइन शिफ्ट नहीं हो रही है। बीएमसी ने हमें कोई जानकारी भी नहीं दी है।
एमपी सिंह, ईई, पीडब्ल्यूडी