रेड जोन के कुत्ते प्राथमिकता में
वैसे तो हर आवारा कुत्ते संस्था की प्राथमिकता में है, लेकिन ऐसे कुत्ते जो रेड जोन में रहते हैं, जैसे हाईवे किनारे या ऐसी सड़क जहां हादसे हो रहे हैं, कुत्ते मर जाते हों। रहवासी एरिया जिसमें सबसे ज्यादा कुत्तों से परेशानी की शिकायते हैं, उन कुत्तों को प्राथमिकता के आधार पर संस्था लेती है। उनका चेकअप डॉक्टरों के द्वारा कराया जाता है। इसके बाद गोद देने की प्रक्रिया और नामकरण होता है।
वर्जन
हम लोग ऐसे कुत्तों का पहले चयन करते हैं जहां लोगों को समस्या रहती है। कुत्तों को गोद देने से पहले फॉर्म भरवाते हैं। अच्छी बात ये है कि मिडिल क्लास के साथ डॉक्टर, जज, कारोबारी भी आवारा कुत्तों को गोद ले रहे हैं।
स्वाती गौरव, प्रेसीडेंट, पीपल्स फॉर एनिमल