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ट्रैफिक पुलिस और एक्सपर्ट से नहीं ली सलाह, लालघाटी-मिसरोद हाइवे नए एक्सीडेंटल जोन

locationभोपालPublished: Dec 02, 2020 01:40:21 pm

Submitted by:

Pushpam Kumar

एनएचएआइ और ठेका कंपनी की लापरवाही

ट्रैफिक पुलिस और एक्सपर्ट से नहीं ली सलाह, लालघाटी-मिसरोद हाइवे नए एक्सीडेंटल जोन

ट्रैफिक पुलिस और एक्सपर्ट से नहीं ली सलाह, लालघाटी-मिसरोद हाइवे नए एक्सीडेंटल जोन

भोपाल. करोड़ों रुपए की लागत से यातायात को सुगम बनाने वाले दो प्रोजेक्ट राजधानी में नए एक्सीडेंटल पॉइंट के रूप में चिह्नित हो रहे हैं। पहला मामला लालघाटी चौराहे का है जहां फ्लाइ ओवर बनाने वाली कंपनी ने नीचे चौराहे का रीडेवलपमेंट बिल्कुल भी नहीं किया है जिसके चलते यह चौराहा यातायात के दबाव के चलते सड़क दुर्घटनाओं की वजह बनता जा रहा है। पिछले दिनों सीएम शिवराज सिंह एवं पूर्व सीएम कमलनाथ का काफिला इसी चौराहे के ट्रैफिक के चलते दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
एक दूसरा एक्सीडेंटल पॉइंट मिसरोद हाइवे बन चुका है, यहां 10 लेन सड़क बनाने वाली कंपनी ने बेतरतीब कंस्ट्रक्शन प्रक्रिया अपनाकर 50 किलोमीटर लंबी इस सड़क को दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र में तब्दील करके रख दिया है।
भोपाल की सीमा के अंदर समदधा पुलिया हर महीने दो लोगों की जान लेती है, यह हाल तब है जब सरकार ने किसी भी बड़े प्रोजेक्ट में ट्रैफिक एक्सपर्ट और यातायात पुलिस से रायशुमारी का नियम बना कर रखा है। एनएचएआइ एवं दिल्ली की प्राइवेट ठेका कंपनी सीडीएस ने इन दोनों ही प्रोजेक्ट में नियमों की शुरू से अवहेलना की इसके बावजूद केंद्रीय एजेंसी एनएचएआई के अधिकारी ठेका कंपनी के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं कर रहे।
हुए थे एफआइआर के निर्देश
लालघाटी एवं मिसरोद प्रोजेक्ट बनाने वाली कंपनी सीडीएस इंफ्रा की लापरवाही से नाराज पूर्व सरकार ने कंपनी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे। लालघाटी से एयरपोर्ट तक बनने वाले हिस्से का एक ब्रिज बारिश के पानी में धंस गया था जिसके बाद पूर्व कानून मंत्री पीसी शर्मा ने तत्कालीन कलेक्टर तरुण पिथोड़े एवं मौजूदा डीआइजी इरशाद वली को कंपनी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
गलत डिजाइन और घटिया कंस्ट्रक्शन के चलते मौके पर जाकर निर्माण कार्य का मुआयना किया था। तत्कालीन अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश भी दिए थे।
पीसी शर्मा, पूर्व विधि मंत्री

निर्माण प्रोजेक्ट में सलाह तो ली जाती है लेकिन इसका पालन नहीं होता। शहर में ऐसे कई प्रोजेक्ट हैं जिनमें परामर्श का पूरा उपयोग नहीं किया गया।
प्रोफेसर सिद्धार्थ रोकड़े,
ट्रैफिक एक्सपर्ट

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