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सीटों में हेराफेरी कर बच्चों को प्रवेश देने से बच रहे प्रायवेट स्कूल

locationभोपालPublished: Oct 11, 2021 02:54:44 pm

Submitted by:

Subodh Tripathi

निजी स्कूलों में विद्यार्थियों की वास्तविक और दर्शाई जा रही संख्या में अंतर है।

सीटों में हेराफेरी कर बच्चों को प्रवेश देने से बच रहे प्रायवेट स्कूल

सीटों में हेराफेरी कर बच्चों को प्रवेश देने से बच रहे प्रायवेट स्कूल

भोपाल. प्रत्येक अभिभावक की इच्छा अपने बच्चों को सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ाने की होती है। आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावक यह सपना पूरा करने के लिए शिक्षा के अधिकार अधिनियम को सीढ़ी मानते हैं। यही कारण है कि इसके तहत आवेदन करने वाले अधिकतर अभिभावक अपने इलाके के सबसे अच्छे स्कूलों को पहली वरीयता में रखते हैं, लेकिन बड़े स्कूलों की मंशा कमजोर वर्ग के बच्चों को नि:शुल्क सीट पर प्रवेश देने की है ही नहीं। इससे बचने के लिए बड़े स्कूल अपनी कक्षाओं में बच्चों की संख्या कम करके दिखा रहे हैं। खास बात यह है कि स्कूलों की इस गड़बड़ी को पकडऩे के लिए जिम्मेदार भी कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।

कम प्रवेश दिखाने से बनती है कम सीटें


शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत स्कूलों को अपने स्कूल की पहली कक्षा में पढ़ रहे विद्यार्थियों की संख्या के 25 फीसदी बराबर सीटें कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आरक्षित करनी होती हैं। इस तरह कुल सीटों से 25 फीसदी निशुल्क सीटें बनती हैं। इससे बचने के लिए निजी स्कूल पहली कक्षा की सीटें कम दिखा देते हैं।

पूरा का पूरा सेक्शन ही छिपा गए


बाल आयोग की ओर से की गई पड़ताल में सामने आया कि, शहर के प्रमुख स्कूलों ने आरटीइ में प्रवेश देने से बचने के लिए पहली कक्षा की सीटें ही कम दिखा दीं। इनमें से कुछ ने 15 से 20 फीसदी बच्चे कम दिखाए। वहीं कई ने पूरे एक सेक्शन का उल्लेख न करते हुए निशुल्क सीटें सीधी आधी कर दी। जांच में राजधानी के ही दो बड़े और प्रतिष्ठित निजी स्कूलों ने दो में से एक ही सेक्शन की जानकारी दी है।
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कार्रवाई की जाएगी

निजी स्कूलों में विद्यार्थियों की वास्तविक और दर्शाई जा रही संख्या में अंतर है। मैपिंग में गड़बड़ी के चलते आरटीई की सीटों पर अंतर पड़ रहा है। इस सम्बंध में कुछ शिकायतें आई हैं। इस मामले की जांच कराई जाएगी, गड़बड़ी करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-रमाकांत तिवारी, प्रभारी, आरटीइ, राज्य शिक्षा केन्द्र

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