भोपाल

इन सीटों पर ज्यादा हुआ नोटा का इस्तेमाल, और अब ये बन रही स्थिति…

एट्रोसिटी एक्ट के विरोध के चलते सामान्य वर्ग…

भोपालSep 28, 2018 / 09:44 am

दीपेश तिवारी

इन सीटों पर ज्यादा हुआ नोटा का इस्तेमाल, और अब ये बन रही स्थिति…

भोपाल। देश में एट्रोसिटी एक्ट के विरोध के चलते सामान्य वर्ग से यह मांग उठने लगी है कि वे किसी प्रत्याशी को वोट देने की बजाय नोटा का इस्तेमाल करें। इसको लेकर सोशल मीडिया पर मुहिम भी चलाई जा रही है।
इसी तरह एससी-एसटी के संगठन अजाक्स ने भी सवर्ण प्रत्याशी को वोट न देने की घोषणा की है। प्रदेश में नोटा के इस्मेमाल की बात की जाए तो सामान्य के बजाय आरक्षित सीटों पर इनका अधिक इस्तेमाल हुआ है।
वर्ष 2013 में हुए विधानसभा चुनाव 1.91 प्रतिशत वोट नाट में पड़े थे। नोटा का सर्वाधिक इस्तेमाल छिंदवाड़ा जिले में हुआ था। यहां 6.05 प्रतिशत लोगों ने नोटा दबाया था, जबकि यहां साक्षरता का प्रतिशत 72.2 प्रतिशत है।
वहीं, भिंड में नोटा का इस्तेमाल सबसे कम हुआ था। यानी यहां साक्षरता 76.6 प्रतिशत है। अलीराजपुर जिले में साक्षरता सबसे 37.2 प्रतिशत है। यहां 4.79 प्रतिशत लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया। इस बार एट्रोसिटी एक्ट से उपजे वर्ग संघर्ष के चलते नोटा और अधिक इस्तेमाल होने के आसार हैं।
ऐसे समझें नोटा का गणित (सर्वाधिक इस्तेमाल)

एसटी विधानसभा क्षेत्र
जुन्नारदेव – 6.05
पानसेमल – 5.89
अमरवाड़ा – 4.58
भैंसदेही – 4.91
शाहपुरा 4.02

एससी विधानसभा क्षेत्र
परासिया – 3.02
देवसर – 3.30
आमला – 3.88
बैरसिया – 3.17
देवसर – 3.30
सामान्य विधानसभा क्षेत्र
गाडरवारा – 3.91
मुडवारा – 3.03
छिंदवाड़ा – 2.76
जावद – 2.75
विजयराघौगढ़ – 2.73


नोटा का सबसे कम इस्तेमाल करने वाले क्षेत्र
मेहगांव – 0.17
खुरई – 0.28
त्यौथर – 0.36
नागौद – 0.37
लहार – 0.39

इधर, तीन अक्टूबर से शुरू होंगे अमित शाह के संभागीय दौरे:-
वहीं दूसरी ओर सवर्ण आंदोलन के कारण टाले गए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के संभागीय दौरे अब तीन अक्टूबर से शुरू होने जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक शाह के प्रदेश में संभागीय प्रवास के लिए तीन, छह, नौ, 14 और 16 अक्टूबर तारीख तय की है।
कार्यकर्ता महाकुंभ में शामिल होने आए पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री और शाह के प्रवास प्रभारी अनिल जैन ने प्रदेश अध्यक्ष के साथ बैठकर यह कार्यक्रम तय किया है।

हालांकि, राष्ट्रीय संगठन ने पहले भी प्रवास के लिए प्रदेश संगठन से तारीखें मांगी थीं, लेकिन कार्यकर्ता महाकुंभ के कारण प्रदेश संगठन यह तय नहीं कर पाया। इस मामले में शाह के नाराजगी जताने के बाद आनन-फानन में अक्टूबर की तारीखें तय की गईं।
इन तारीखों पर अभी शाह की सहमति की मुहर लगना बाकी है। इसमें इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और सागर शामिल रहेंगे।
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