वहीं, प्रॉपर्टी किस खसरा नंबर पर है इसकी पड़ताल के लिए भू अभिलेख के पोर्टल से एक लिंक सॉफ्टवेयर में जोड़ी गई है। शक होने पर या खसरे की जांच करते समय इस लिंक के माध्यम से एक क्लिक पर जांच हो जाएगी। पंजीयन अफसरों का कहना है कि रजिस्ट्री करते समय प्रॉपर्टी का आईडी नंबर भी उसमें दर्ज किया जाएगा। ये सब रजिस्ट्री में पारदर्शिता लाने के लिए किया जा रहा है।
इस सॉफ्टवेयर का काम लगभग पूरा कर चुका है। इसे कभी भी रजिस्ट्री में लागू कर दिया जाएगा। इसके बाद गवाह कम होने से पंजीयन दफ्तरों में लगने वाली भीड़ भी कम हो जाएगी। रजिस्ट्री के लिए डीड लिखने में समय की बचत होगी। इसी सॉफ्टवेयर में से एक लिंक भ्रष्टाचार की जांच करने वाली एजेंसियों को भी दी जाएगी। अभी इनकम टैक्स के पास रजिस्ट्री सर्च करने की लिंक है। लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू और अन्य जांच एजेंसियों को अभी तक पंजीयन दफ्तरों को पत्र लिखकर जानकारी जुटाना पड़ती है।
सोसायटियों की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा रुकेगा
भोपाल में गृह निर्माण सोसायटियों में से चालीस फीसदी में प्लॉट की रजिस्ट्री में जमकर घोटाले हुए हैं। यहां जांच के नाम पर कुछ अफसरों तक ने प्लॉट और फ्लैट बनाए हैं। सम्पदा टू में आधार और खसरे की लिंक से काफी हद तक इन पर शिकंजा कसा जाएगा। कृषि जमीन पर कॉलोनी काटकर रजिस्ट्री कराने वालों की जांच भी एक क्लिक पर हो जाएगी।