रिपोर्ट भी होगी डाउनलोड
जानकारी के मुताबिक सीडेक सॉफ्टवेयर तैयार कर रही है। इस सॉफ्टवेयर से मरीज क्यूआर कोड के माध्यम से सीधे एम्स की साइट पर पहुंच जाएंगे। यहां मरीज अपनी जानकारी भरकर जैसे ही सबमिट करेगा, उसे टोकन नंबर मिल जाएगा। टोकन नंबर के आधार पर डॉक्टर से मिल लेगा।
जल्द जारी होगा एम्स भोपाल का ऐप
एम्स अस्पताल में भर्ती मरीजों की पैथौलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, रेडियोलॉजी जांचों के बल मोबाइल से ऑनलाइन भरने की सुविधा मिलेगी। इसके लिए एम्स का मोबाइल ऐप भी लॉन्च होगा। मरीज ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट बुक सकेंगे।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने भोपाल के एम्स को मृत शरीर के स्पर्म को डोनेट कर संतानोत्पत्ति की संभावनाओं पर शोध का काम सौंपा है. इस रिसर्च के जरिए यह पता लगाया जाएगा कि किसी युवा पुरुष की मौत के बाद में कब तक स्पर्म जिंदा रहते हैं। शोध में यह पता भी लगाया जाएगा कि क्या स्पर्म को नि:संतान दंपति या मृत पुरूष की पत्नी को डोनेट कर संतानोत्पत्ति संभव है? यदि हां तो यह कैसे संभव होगा? भोपाल एम्स देश का पहला संस्थान होगा, जो इस तरह की रिसर्च करेगा. तीन साल तक चलने वाली इस रिसर्च की रिपोर्ट आईसीएमआर को सौंपी जाएगी।