scriptफास्ट ट्रैक पर नेटवर्क का बैरियर, बारकोड नहीं हो रहे स्कैन | now drivers are facing barcode scanning prob in tole plaza of high-way | Patrika News

फास्ट ट्रैक पर नेटवर्क का बैरियर, बारकोड नहीं हो रहे स्कैन

locationभोपालPublished: Mar 28, 2018 10:37:41 pm

Submitted by:

Ashok gautam

वाहन चालक हो रहे परेशान

plaza

भोपाल। प्रदेश के टोल नाकों पर इंटरनेट कनेक्टिविटी खराब है या टोल संचालक इसे मजबूत करना नहीं चाहते? वजह जो भी हो, खामियाजा उन वाहन मालिकों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्होंने टोल से बेरोकटोक गुजरने के लिए बारकोड की सुविधा ले रखी है।

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंटीग्रेटेड बारकोड ट्रैक (फास्ट ट्रैक) बनाने के सुझाव को पलीता लग रहा है। प्रदेश में यह ट्रैक भोपाल-इंदौर मार्ग पर बनाया गया है। यहां नेटवर्क नहीं मिलने के कारण वाहनों के बारकोड स्कैन नहीं होने पर बैरियर नहीं खुलता। ऐसे में विवाद की स्थिति भी बन जाती है। जबकि, एनएचएआई की 29 सड़कों पर टोल हैं। पीएम ने कहा था, बारकोड स्टिम प्री-पेड होगा। इस सिस्टम को टोल नाका ठेकेदार और बैंक मिलकर जनरेट करेंगे।

इसके रीचार्ज वाउचर सभी टोल नाकों और अनुबंधित बैंकों में मिल सकेंगे। देश में 22000 वाहनों में बारकोड लगाया गया है। फास्ट ट्रैक की प्री-पेड सुविधा अकसर वीवीआईपी और लंबी दूरी तय करने वाले वाहन मालिक लेते हैं। बारकोड के लिए एसबीआई, एक्सिस और आईसीआईसीआई बैंक अधिकृत हैं। बारकोड लेने के लिए वाहन की पूरी जानकारी देना होता है।

आए दिन विवाद

एमपीआरडीसी ने अभी सिर्फ इंदौर-भोपाल में रोड पर फास्ट ट्रैक बनाया है। इस पर तीन टोल नाके हैं। बारकोड स्कैन नहीं होने पर वाहनों को मेन ट्रैक पर लाया जाता है। शुल्क मैनुअली लेने के बाद वाहनों को निकाला जाता है। वाहन चालक कई बार इसे प्रतिष्ठा का सवाल मानकर टोलकर्मियों के साथ तू-तू, मैं-मैं करने लगते हैं। ऐसे कई शिकायतें एमपीआरडीसी के पास पहुंची हैं। इस मामले में ठेकेदार और वाहन मालिक शामिल होते हैं। एमपीआरडीसी कुछ नहीं कर सकता।

एनएचएआइ के 17 टोल स्थायी और पांच अस्थायी फास्ट टै्रक हैं। इनके बारकोड काम करते हैं। कभी-कभार कहीं खराबी की शिकायतें आती हैं तो दूर किया जाता है। अब तो वाहन मालिकों को एमएमएस भी पहुंच जाता है। लंबे रूट के 20 फीसदी वाहन फास्ट ट्रैक का उपयोग करते हैं।
– एमके जैन, आरओ, एनएचएआइ, मप्र

फास्ट ट्रैक सिस्टम अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा है। इसमें एमपीआरडीसी का सीधे हस्तक्षेप नहीं है। ठेकेदार, बैंक और वाहन मालिकों के बीच का मामला है।
– आलोक चतुर्वेदी, चीफ इंजीनियर, एमपीआरडीसी

फास्ट ट्रैक सिस्टम में 5-6 इश्यू हैं। इसमें से नेटवर्क सबसे बड़ा इश्यू है। कई बार बारकोड लेने वाले रिचार्ज नहीं करते हैं। कई बार वाउच रिचार्ज कराने के बार बैंक उसे अपडेट नहीं कराते हैं। इस संबंध में सभी की बैठक नौ अप्रैल को एमपीआरडीसी में होगी।
-मोहनलाल कौशिक, प्रोजेक्ट मैनेजर, भोपाल-देवास कॉरिडोर प्राइवेट लिमिटेड

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