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एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट में अब जांच के बाद एफआइआर

locationभोपालPublished: Apr 17, 2018 09:33:05 am

Submitted by:

Umesh Yadav

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप प्रदेश में एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट में अब न तो सीधे एफआइआर होगी और न ही गिरफ्तारी।

rihai dr rajeev mishra

jail

भोपाल. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप प्रदेश में एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट में अब न तो सीधे एफआइआर होगी और न ही गिरफ्तारी। पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी डीआइजी, एसपी सहित थाना प्रभारियों को जारी आदेश में कहा गया है कि एससी-एसटी एक्ट में शिकायत पर डीएसपी स्तर के अधिकारी को 7 दिन में जांच पूरी करनी होगी। इसमें दोषी पाए जाने पर ही संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जा सकेगी। सरकारी कर्मचारी-अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज होने पर विभाग प्रमुख की अनुमति के बाद ही गिरफ्तारी की जाएगी।

वहीं आमजन की शिकायत पर गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधीक्षक से अनुमति लेना होगी। एडीजी एजेके प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के अनुसार आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हुआ तो अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्हें सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का दोषी भी माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च को फैसले में कहा था कि इस एक्ट के तहत आरोपों पर तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी। इससे पहले जांच जरूरी है। एससी-एसटी एक्ट में दर्ज होने वाले मामलों को लेकर पुलिस मुख्यालय में 28 अप्रैल को समीक्षा बैठक होनी है। इसमें दर्ज प्रकरणों की स्थिति पर निर्णय लिया जाएगा। सरकार ने 28 मार्च को प्रदेश भर के डीआइजी, एसपी, डीएसपी और थाना प्रभारियों को आदेश की प्रति भेज दी है।

इसमें लिखा गया है कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं हुआ, उन्हें सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का दोषी भी माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस एक्ट के तहत आरोपों पर तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी। गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है और केस दर्ज होने से पहले भी जांच की जाएगी। साथ ही इस जांच को डीएसपी स्तर का अधिकारी करेगा और गिरफ्तारी से पहले इसमें जमानत संभव हो सकेगी। सीनियर अफसर की इजाजत के बाद ही गिरफ़्तारी हो सकेगी।

 

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