मध्यप्रदेश में हाल ही में हुई मैग्नीफिसेंट एमपी में करीब 130 उद्योगपति गोल्ड कैटेगरी तो वहीं 700 उद्योगपति ग्रीन कैटेगरी के शामिल हुए। इन सभी ने इंदौर और भोपाल के आस—पास ही निवेश करने की इच्छा जताई। कोई भी निवेशक जबलपुर और ग्वालियर संभाग में निवेश नहीं करना चाहता है। इसके पहले भाजपा सरकार में भी हुई इन्वेस्टर समिट में भी यही हाल रहा।
जबलपुर—ग्वालियर में संभावनाएं अपार जबलपुर और ग्वालियर के क्षेत्रफल और इसकी बसाहट को देखते हुए यहां पर कई तरह के उद्योग फल-फूल सकते हैं। जबलपुर में सबसे पहला कपड़ा उद्योग वरदान साबित हो सकता है, क्योंकि कपड़े की खपत शहर और आसपास के इलाकों में सबसे ज्यादा है। वहीं जबलपुर के साथ ग्वालियर में फार्मास्यूटिकल सेक्टर हब के रूप में विकसित हो सकता है। दोनों ही संभागों में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण की सबसे ज्यादा संभावना हैं फिर भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट या संबंधित उद्योग लगाने में यहां पर किसी ने कोई निवेश नहीं किया।
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ग्वालियर के बानमौर और मालनपुर हुए उजाड़
ग्वालियर में बनमौर और मालनपुर इंडस्ट्रीयल एरिया उजाड़ हो रहे हैं। पहले से संचालित उधोग बंदी की कगार पर हैं। नए उधोग यहां आ नहीं रहे। इससे ग्वालियर संभाग के युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा।
यही हालात जबलपुर के हैं। यहां भी अधिकतर इंडस्ट्रीयल एरिया में जमीनें खाली पड़ी है। उमरिया डूंगरिया औद्योगिक क्षेत्र – यहां कुल 517 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध है, जिसमें से 162 हेक्टेयर आवंटित की गई है, जबकि 355 हेक्टेयर जमीन आज भी खाली पड़ी है.
हरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र – यहां कुल 188 हेक्टेयर का क्षेत्रफल है, जिसमें से मात्र 65 हेक्टेयर जमीन ही आवंटित की गई है. 123 हेक्टेयर जमीन आज भी वीरान पड़ी है. मनेरी औद्योगिक क्षेत्र – यहां कुल क्षेत्रफल 486 हेक्टेयर है, जबकि उद्योग के नाम पर आवंटित क्षेत्रफल मात्र 108 है. यानी यहां भी 298 हेक्टेयर जमीन खाली पड़ी है.
फुडपार्क मनेरी – यहां कुल 30 हेक्टेयर का क्षेत्रफल मौजूद है, जिसमें से मात्र 11 हेक्टेयर ज़मीन ही अब तक आवंटित कीय गई है जबकि 19 हेक्टेयर जमीन आज भी खाली पड़ी है