यह देना होगी जानकारी
शराब बनाने वाली इकाइयों की निगरानी के लिए जिला निर्वाचन स्तर पर एक निगरानी समिति बनाई जाएगी। शराब इकाइयों को हर महीने देशी और विदेशी शराब बनाने की जानकारी चुनाव आयोग को देनी होगी। यह भी बताना होगा कि गोदामों में वर्तमान में कितना स्टाक है और एक साल में कंपनियों ने कितना माल कहां सप्लाई किया है। कैमरे के माध्यम से यह निगरानी की जा जाएगी कि चुनाव में कहीं निर्धारित मात्रा से ज्यादा शराब का निर्माण तो शुरू तो नहीं कर दिया गया है। पुलिस और आबकारी विभाग को अवैध शराब के भंडारण और परिवहन को रोकने के निर्देश दिए गए हैं। दोनों विभाग प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में चौकी बनाएंगे। यहां चौबीस घंटे कम से कम दो जवान ड्यूटी करेंगे।
दलों के सुझावों पर अमल
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय अभी उन शिकायतों और सुझावों पर अमल कराने में लगा है, जो राजनीतिक दलों ने भारत निर्वाचन आयोग की फुल बेंच के समक्ष दिए थे। इनमें शराब का वितरण एक मुख्य बिंदु था। इसके अलावा आरएसएस से जुड़े कर्मचारियों की ड्यूटी के सवाल उठाए गए थे, जिस पर आयोग ने कहा कि इस तरह की जानकारी विभागों के पास नहीं है। चुनाव में ड्यूटी लगाने के दौरान कर्मचारियों से आंडर-टेकिंग ली जाएगी। साथ ही चुनाव के दौरान साड़ी, कंबल सहित अन्य सामग्री बांटने पर रोक लगाने के लिए आयोग ने आम जनता और पार्टियों लिए मोबाइल ऐप तैयार किया है।