अब अंग्रेजी के चलते एमबीबीएस में नहीं लगेगा बैक, मातृभाषा में होगी मेडिकल पढ़ाई
नई शिक्षा नीति में मातृभाष में होगी मेडिकल स्टडी, गांधी मेडिकल कॉलेज में 15 फीसदी छात्रों को अंग्रेजी के चलते लगा बैक

भोपाल। गांधी मेडिकल कॉलेज में पिछले सत्र में एमबीबीएस फस्र्ट इयर में करीब १५ फीसदी छात्रों को बैक लगा। कॉलेज प्रबंधन ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि यह सभी छात्र अंग्रेजी भाषा के चलते परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए।
सिर्फ जीएमसी ही नहीं प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में कई छात्र अंग्रेजी ना आने के कारण पिछड़ जाते हैं। इससे निराश कई छात्र पढ़ाई भी छोड़ देते हैं।
इन्ही समस्याओं को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार मेडिकल की पढ़ाई अब मातृभाषा में काराने की तैयारी कर रही है।
जल्द जारी होने वाली नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा की पढ़ाई मातृभाषा में होगी। इसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग सहित स्नातक स्तर के सभी पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है, पुस्तकों को मातृभाषा में इसमें मेडिकल और इंजीनियरिंग सहित स्नातक स्तर के सभी पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है। मेडिकल और इंजीनियरिंग की पुस्तकों को मातृभाषा में ट्रांसलेट किया जा रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों को छात्रों को होगा फायदा
गांधी मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.़ राकेश मालवीय ने बताया कि यह काम कठिन जरूर है लेकिन सही तरीके से किया जाए तो असंभव नहीं है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को ज्यादा फायदा होगा। कई छात्र हिंदी मीडियम से होते हैं और अंग्रेजी में कमजोर होते हैं। उन्हें एमबीबीएस के दौरान दो साल अंग्रेजी समझने में ही लग जाते हैं।
मातृभाषा के अलावा होगी अन्य भाषा की भी जानकारी
नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यपुस्तकें मातृभाषा में तैयार होगी। स्कूली शिक्षा की किताबों को द्विभाषी किया जाएगा। इसमें छात्र को हिंदी या अंग्रेजी की अनिवार्यता नहीं रहेगी। वह अपनी सुविधानुसार मनपसंद भाषा में तैयार किताब से पढ़ाई कर सकेगा। इससे उसे एक से अधिक भाषाओं की जानकारी भी होगी।
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