सामान्य प्रशासन विभाग ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे भी गृह और जेल विभाग की तरह अधिकारियों व कर्मचारियों को उच्च पदों का प्रभार दे सकते हैं। इससे सरकार पर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार भी नहीं आएगा। प्रदेश में सरकारी विभागों में पदोन्नतियां पदोन्नति में आरक्षण नियम 2002 निरस्त होने के बाद से ही बंद हैं।
उन्हीं अधिकारियों या कर्मचारियों को मई 2016 के बाद पदोन्नति दी गई है जिन पदों के लिए विभागीय पदोन्नति समिति यानि डीपीसी की बैठक हाईकोर्ट द्वारा नियम को निरस्त करने के पहले ही हो गई थी। कुछ मामलों में कोर्ट के आदेश पर भी पदोन्नतियां दी गई हैं। पात्र होने के बाद भी पदोन्नत हुए बिना अधिकारी-कर्मचारी लगातार सेवानिवृत्त हो रहे हैं. इससे कर्मचारियों अधिकारियों में नाराजगी है. उनकी नाराजगी को कम कर सरकारी अमले को साधने के लिए सरकार ने उच्च पदों का प्रभार देने की व्यवस्था लागू की है।
इसकी शुरुआत गृह विभाग ने की थी और फिर जेल विभाग ने भी इसे अपना लिया. अब राजस्व विभाग ने अपने तहसीलदारों और राजस्व निरीक्षकी की सूची मांगी है. तहसीलदार को डिप्टी कलेक्टर और राजस्व निरीक्षक को नायब तहसीलदार पद का प्रभार दिया जाएगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रमुख राजस्व आयुक्त और आयुक्त भू अभिलेख से पात्र तहसीलदार व राजस्व निरीक्षकी की सूची मांगी है. जो अधिकारी इन पदों पर पांच वर्ष कार्य कर चुके हैं और जिनकी गोपनीय चरित्रावली में प्रतिकूल टिप्पणी दर्ज नहीं है, ऐसे अधिकारियों को उच्च पद का प्रभार दिया जाएगा.