हाल ही राज्यसभा में विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था, यूजीसी प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस के पदों के सृजन की संभावनाएं तलाश रही है। विश्वविद्यालयों के स्वीकृत पदों को प्रभावित किए बिना इन पदों के सृजन की संभावना का पता लगाया जा रहा है। यूजीसी के ड्राफ्ट में पीएचडी डिग्री की समयावधि को लेकर बदलाव किए गए हैं। पीएचडी के लिए न्यूनतम सीमा अब तीन साल के स्थान पर दो साल तो अधिकतम छह साल ही रहेगी। महिलाओं के लिए अधिकतम आठ वर्ष की समयावधि पहले की तरह लागू रहेगी।
3 प्रमुख बातें
- "प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' की पहल से उच्च शैक्षणिक संस्थानों और उद्योग के बीच अंतराल दूर करने में मदद मिलेगी।
- पाठ्यक्रम समृद्ध होगा छात्रों रोजगार में मदद मिलेगी। को
- इस तरह के प्रावधान आइआइटी में पहले से मौजूद हैं।
भारत आने का रास्ता खुलेगा
यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने बुधवार को बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत आने और परिसरों की स्थापना की सुविधा के लिए नियमों का मसौदा तैयार कर रहा है। अगले दो महीने में मसौदा नियम जारी किए जाएंगे। उन्होंने कहा, हाल ही मैं कई देशों के राजदूतों से मिला। उनमें से कई भारत में अपने परिसरों की स्थापना में रुचि दिखा रहे हैं। हम भारतीय संस्थानों को सक्षम बनाने के लिए एक विनियमन पर भी काम कर रहे हैं। चाहे वे राज्य द्वारा वित्त पोषित विश्वविद्यालय हों, निजी विश्वविद्यालय हों या केंद्रीय विश्वविद्यालय हों, वे विदेश में अपने परिसर खोल सकेंगे। उन्होंने बताया कि जल्द ही हम कुछ बदलाव करने जा रहे हैं। इससे देश के कुछ शीर्ष विश्वविद्यालय यूजीसी की अनुमति के बिना भी ऑनलाइन कार्यक्रमों की पेशकश कर सकेंगे।
शिक्षाविदों को देने हैं सुझाव...
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत उच्च शिक्षा की तस्वीर बदलने की कवायद जारी है। 17 मार्च को जारी पब्लिक नोटिस में न्यूनतम मापदंड और पीएचडी डिग्री अवार्ड करने के लिए देशभर के कुलपतियों, शिक्षाविदों, छात्रों से सुझाव मांगे गए हैं।