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भोपाल

मानव संग्रहालय में अब देख सकेंगे पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक झलक

500 से अधिक एथनोग्राफिक के माध्यम से दर्शाया गया

भोपालAug 26, 2021 / 10:08 pm

mukesh vishwakarma

मानव संग्रहालय में अब देख सकेंगे पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक झलक

मानव संग्रहालय में अब देख सकेंगे पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक झलक

भोपाल। मानव संग्रहालय के अंतरंग भवन वीथि संकुल में पूर्वोत्तर भारत की संस्कृतियों पर आधारित प्रदर्शनी दीर्घा आम जनता के लिए खोल दी गई। इसका उद्घाटन संस्कृति मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी पार्थसारथी सेन शर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से देश के विभिन्न भागों में एकता को बढ़ावा देगी। यह प्रदर्शनी एक भारत श्रेष्ठ भारत का अतुलनीय उदाहरण है। संग्रहालय के निदेशक डॉ. पीके मिश्र ने बताया कि प्रदर्शनी में मणीपुर, नागालैंड, असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश और सिक्किम की संस्कृति को राज्यवार प्रदर्शित किया गया है।

भारत के 8 राज्यों की सांस्कृतिक छटा
मिश्र ने बताया कि प्रदर्शनी 500 से अधिक एथनोग्राफिक वस्तुओं के माध्यम से पूर्वोत्तर भारत के 8 राज्यों की सांस्कृतिक छटा को दर्शाती है। पूर्वोत्तर भारत से किए गए संग्रह को क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के बेहतर प्रस्तुतीकरण के लिए 12 विषय परक अनुभागों में प्रदर्शित किया गया है। इस प्रदर्शनी में पाफल का मिथकीय संसार, असम की सत्र संस्कृति, त्रिपुरा, मेघालय और मिजोरम के संग्रह, पूर्वोत्तर भारत के कुछ परिधान, अरुणाचल प्रदेश के जनजातीय आभूषण, पूर्वोत्तर भारत की जनजातियों के पारंपरिक शस्त्र, नागा संग्रह (उर्वर- पंथ के आख्यान) तथा सिक्किम कॉर्नर को प्रदर्शित किया गया है।

गमक शृंखला में शाम-ए-मौसीकी का आयोजन

भोपाल. संस्कृति विभाग की एकाग्र श्रृंखला गमक में गुरुवार को मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी की ओर शाम-ए-मौसीकी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें इंदौर के कलाकार गुरूमीत सिंह डंग और भोपाल की कीर्ति सूद ने गजलों की प्रस्तुति दी। इन प्रस्तुतियों का प्रसारण सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किया गया। इस प्रस्तुति की शुरुआत गजलकार गुरूमीत सिंह डंग ने अपनी गजलों और कलामों से की। उन्होंने अहमद फराज की गजल ‘अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें…Ó से कार्यक्रम की शुरुआत की।

मेरे हम-नफस मेरे हम-नवा…
इसके बाद समर निजामी की गजल ‘मैं तेरे शहर में जब तेरी दुहाई दूंगा…Ó सुनाया। शकील बदायूनी की गजल ‘मेरे हम-नफस मेरे हम-नवा मुझे दोस्त बन के दगा न दे.. गजलें सुनाई। अगली कड़ी में गजल गायक कीर्ति सूद ने अल्लामा इकबाल की गजल ‘सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा…की प्रस्तुति दी। इसके बाद गालिब की गजल ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं.., ताज भोपाली की गजल है मोहब्बत तो निभाई जाए… और बशीर बद्र साहब की ‘अगर तलाश करूं कोई मिल ही जाएगा…Ó गजलें सुनाई।

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