एनटीसीए की द्वारा फरवरी 2019 में निर्देश देने के बाद भी संरक्षित क्षेत्रों में अधिक वाहनों का प्रवेश इन पार्कों में नहीं रोका गया। इसके चलते इस मामले में वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अजय दुबे ने एनटीसीए से दोबारा शिकायत की है। वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने पिछले साल पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर चारों टाइगर रिजर्व में पर्यटकों को भ्रमण कराने वाले वाहनों की संख्या बढ़ा दी थी। दुबे ने एक नवंबर 2018 को मामले की शिकायत एनटीसीए से की थी और संस्था ने 10 दिसम्बर 2018 को प्रदेश के चीफ वाइल्ड लाइफ वॉर्डन को इस पर रोक लगाने को कहा था।
24 दिसम्बर 2018 को वाइल्ड लाइफ मुख्यालय ने टाइगर रिजर्व क्षेत्र संचालकों को आदेश भेजकर पूर्व निर्धारित वाहनों को ही संचालित करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दुबे का आरोप है कि बड़े पर्यटन ऑपरेटर्स के व्यावसायिक हितों की पूर्ति के लिए वन विभाग ने यह फैसला लिया है। इस कारण संरक्षित क्षेत्रों मेें पर्यटकों की भीड़ बढ़ गई। जिसका असर बाघों की मनोस्थिति पर पड़ रहा है। दुबे का कहना है कि इस मामले में वाइल्ड लाइफ मुख्यालय एनटीसीए को भ्रमित कर रहा है।
दुबे के आरोप हैं कि पार्कों में वाहनों की संख्या बढ़ाने से पहले स्थानीय सलाहकार समिति से बात नहीं की गई। एनटीसीए के उप वन महा निरीक्षक सुरेंद्र मेहरा के पत्र में साफ कहा गया है कि बाघ संरक्षण योजना में परिवर्तन के बगैर पार्कों में वाहनों की संख्या नहीं बढ़ाई जा सकती है। इसमें एनटीसीए की अनुमति भी लेनी पड़ेगी। उन्होंने साफ कहा है कि जरूरी अनुमतियों के बगैर वाहनों की संख्या में किसी भी तरह की बढ़ोत्तरी न की जाए। उन्होंने सुधारात्मक कार्यवाही कर एनटीसीए को सूचित करने को कहा है।
एनटीसीए के पत्र को शासन के सामने रखेंगे। वैधानिक रूप से टाइगर रिवर्ज में पर्यटकों के प्रवेश की संख्या बढ़ाई गई है। इसमें कमिश्नर की अध्यक्षता वाली लोकल कमेटी अनुमति है। संख्या बढ़ाने की स्वीकृति के लिए एनटीसीए को भी भेजा गया है।
यू प्रकाशम, वन बल प्रमुख