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NGT : स्थायी ज्यूडीशियल एक्सपर्ट मेंबर नहीं होने से 55 फीसदी तक कम फाइल हो रहे हैं पर्यावरण से जुड़े मामले

locationभोपालPublished: Oct 16, 2019 12:21:34 pm

पिछले एक साल से हफ्ते में दो दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हो रही है सुनवाई

NGT Central Zone Bench, Bhopal

NGT Central Zone Bench, Bhopal

विकास वर्मा, भोपाल। पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरणीय विवादों के समाधान के लिए बनाए गए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की भोपाल स्थित सेंट्रल जोन बेंच में पदस्थ ज्यूडीशियल मेंबर जस्टिस रघुवेन्द्र एस राठौर और एक्सपर्ट मेंबर सत्यवान सिंह गर्बयाल का 1 फरवरी 2018 को तत्कालीन चेयरपर्सन ने दिल्ली स्थित प्रिंसिपल बेंच ट्रांसफर कर दिया था। जिसके बाद करीब 7 महीने तक सुनवाई बंद रही, आवेदकों को सिर्फ तारीख मिलती रहीं। अक्टूबर 2018 से प्रत्येक मंगलवार और गुरुवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केस और पेंडिंग मामलों की सुनवाई शुरू हुई। लेकिन एनजीटी की बेंच भोपाल में नहीं होने की वजह से यहां फाइल होने वाले केस की संख्या करीब 55 फीसदी तक घट गई है।

वर्ष 2017 में फाइल हुए थे 153 केस

एनजीटी में वर्ष 2017 में 153 केस फाइल हुए थे जो वर्ष 2018 में घटकर 49 हो गए। हालांकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई शुरू होने के कारण वर्ष 2019 में अब तक 57 केस फाइल हुए हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के बाद इन 12 महीनों में प्रत्येक माह में अधिकतम 6 से 8 दिन ही सुनवाई हुई है।

NGT New Delhi

वर्तमान में 250 केस पेंडिंग

एनजीटी की सेंट्रल जोन बेंच में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ तीन राज्यों के पर्यावरण संबंधी मामलों की सुनवाई होती है। यहां फिलहाल 250 से अधिक प्रकरण पेंडिंग हैं जिन पर नियमित सुनवाई नहीं होने से कार्रवाई अटकी हुई है। यहां करीब 70 फीसदी केस मप्र के हैं जबकि 30 फीसदी केस राजस्थान व छत्तीसगढ़ राज्यों के हैं।

ज्यूडीशियल व एक्सपर्ट मेंबर की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

देश भर में एनजीटी की बेंच में एक्सपर्ट और ज्यूडीशियल मेंबर की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पिछले हफ्ते ही जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एनजीटी में एक्सपर्ट मेंबर व ज्यूडीशियल मेंबर की नियुक्ति की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि एनजीटी की अधिकतर बेंच ठप पड़ी हैं, लिहाजा जब तक सभी ग्रीन टिब्यूनल में नियुक्तियां पूरी ना हों तब तक पर्यावरण से जुड़े मामलों की सुनवाई संबंधित राज्यों की हाई कोर्ट की समुचित बेंच ही करें। इस मामले में अब केन्द्र सरकार को जवाब देना है कि खाली पद कब तक भरे जाएंगे और पर्यावरण से जुड़े मामलों की सुनवाई कहां और कैसे होगी।

 

एनजीटी में अक्टूबर 2018 से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई चल रही है। ज्यूडीशियल व एक्सपर्ट मेंबर की नियुक्तियां केन्द्र सरकार को करनी है, इसके जल्द होने की उम्मीद है। सेंट्रल जोन बेंच विभिन्न मामलों में संबंधित विभागों और एजेंसियों से तय समय पर प्रोग्रेस रिपोर्ट मंगाते हैं और एनजीटी के आदेश का अमल सुनिश्चित करा रहे हैं।
– सुशील कुमार, रजिस्ट्रार, एनजीटी (सेंट्रल जोन बेंच)

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