वर्ष 2017 में फाइल हुए थे 153 केस
एनजीटी में वर्ष 2017 में 153 केस फाइल हुए थे जो वर्ष 2018 में घटकर 49 हो गए। हालांकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई शुरू होने के कारण वर्ष 2019 में अब तक 57 केस फाइल हुए हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई के बाद इन 12 महीनों में प्रत्येक माह में अधिकतम 6 से 8 दिन ही सुनवाई हुई है।
वर्तमान में 250 केस पेंडिंग
एनजीटी की सेंट्रल जोन बेंच में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ तीन राज्यों के पर्यावरण संबंधी मामलों की सुनवाई होती है। यहां फिलहाल 250 से अधिक प्रकरण पेंडिंग हैं जिन पर नियमित सुनवाई नहीं होने से कार्रवाई अटकी हुई है। यहां करीब 70 फीसदी केस मप्र के हैं जबकि 30 फीसदी केस राजस्थान व छत्तीसगढ़ राज्यों के हैं।
ज्यूडीशियल व एक्सपर्ट मेंबर की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
देश भर में एनजीटी की बेंच में एक्सपर्ट और ज्यूडीशियल मेंबर की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पिछले हफ्ते ही जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर एनजीटी में एक्सपर्ट मेंबर व ज्यूडीशियल मेंबर की नियुक्ति की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि एनजीटी की अधिकतर बेंच ठप पड़ी हैं, लिहाजा जब तक सभी ग्रीन टिब्यूनल में नियुक्तियां पूरी ना हों तब तक पर्यावरण से जुड़े मामलों की सुनवाई संबंधित राज्यों की हाई कोर्ट की समुचित बेंच ही करें। इस मामले में अब केन्द्र सरकार को जवाब देना है कि खाली पद कब तक भरे जाएंगे और पर्यावरण से जुड़े मामलों की सुनवाई कहां और कैसे होगी।
एनजीटी में अक्टूबर 2018 से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामलों की सुनवाई चल रही है। ज्यूडीशियल व एक्सपर्ट मेंबर की नियुक्तियां केन्द्र सरकार को करनी है, इसके जल्द होने की उम्मीद है। सेंट्रल जोन बेंच विभिन्न मामलों में संबंधित विभागों और एजेंसियों से तय समय पर प्रोग्रेस रिपोर्ट मंगाते हैं और एनजीटी के आदेश का अमल सुनिश्चित करा रहे हैं।
– सुशील कुमार, रजिस्ट्रार, एनजीटी (सेंट्रल जोन बेंच)