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पूरी तैयारी के बिना करोड़ों कर डाला करोड़ों रुपए लागत का निर्माण

locationभोपालPublished: Mar 15, 2019 11:34:53 am

कलियासोत पर वाल्मी पुल को जोडऩे वाली सड़क की परमीशन नहीं, छोटे तालाब पर आर्च ब्रिज का 90 फीसदी पूरा, तीन मकानों का अडंगा…

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पूरी तैयारी के बिना करोड़ों कर डाला करोड़ों रुपए लागत का निर्माण

भोपाल. बिना पूरी तैयारी नगर निगम, स्मार्ट सिटी, सीपीए आदि एजेंसियों ने करोड़ों के काम तो कर डाले, लेकिन लोगों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। शहर के दो बड़े प्रोजेक्ट कलियासोत नदी पर वाल्मी पुल और छोटे तालाब पर आर्च ब्रिज तो इसी लापरवाही के शिकार होकर अटक गए। इन परियोजनाओं में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ अभी तक न तो जिम्मेदारी तय की गई है और न ही कोई एक्शन लिया गया है। जनता के करोड़ों रुपए फूंककर भी जनता को सुविधाओं का लाभ न मिल पाने के दोषी बेफिक्र हैं।


उल्लेखनीय है कि दामखेड़ा-साईं हिल्स के पास कलियासोत नदी पर 4.60 करोड़ रुपए की लागत से राजधानी परियोजना प्रशासन ने 12 मीटर चौड़ा और 125 मीटर लंबा ब्रिज बनाया है। इस ब्रिज के बनने से कोलार-भोपाल की बेहतरीन कनेक्टिविटी हो जाती। साईं हिल्स, प्रखर होम्स, अमरनाथ कॉलोनी, दानिश हिल व्यू, आर्चिड पैलेस, फॉरच्यून एनक्लेव, सर्वधर्म सेक्टर डी, राजहर्ष कॉलोनी, सीआइ हिल व्यू समेत कई कॉलोनीज की बड़ी आबादी को सीधे चूनाभट्टी की ओर बेहतर कनेक्टिविटी मिलती। सीपीए ने यह पुल तो बना डाला, लेकिन एप्रोच रोड के लिए वाल्मी ने परमीशन नहीं दी है।

कलियासोत नदी के किनारे स्थित राज्य सरकार के संस्थान वाटर एंड लैंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (वाल्मी) ने ब्रिज की एप्रोच रोड के लिए जमीन देने से इनकार करते हुए वाल्मी के भीतर से जा रही एक अन्य सड़क से भी यातायात को रोक दिया है। वाल्मी यहां पर जल संरक्षण की ट्रेनिंग देने के लिए कुछ नए तालाबों का निर्माण कर रहा है। यह भी सवाल है कि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा मंजूर राजहर्ष सी सेक्टर के ले-आउट में यहां सड़क किसकी अनुमति से दिखाई गई? इस कॉलोनी में 450 प्लॉट और लगभग 25 मकान बन चुके हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं।


वाल्मी और प्रशासन के टकराव के कारण जहां एक तरफ हाल में बना ब्रिज बेमानी हो गया है वहीं कोलार रोड के समानांतर एक वैकल्पिक मार्ग तैयार होने की संभावनाएं खत्म हो गईं हैं। यदि यह ब्रिज चालू हो जाता तो न्यू मार्केट की तरफ से कोलार रोड एक बड़ी आबादी मैन कोलार रोड की बजाय इसी सड़क के आना-जाना करती। यह आबादी इस क्षेत्र में रोजाना सड़क पर ट्रैफिक जाम में फंसती है।
निर्माणाधीन कॉलोनियों पर रोक लगाकर सीपीए के इंजीनियर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाए। वाल्मी की जमीन से बिना अनुमतियों के यह रोड निकालने पर वाल्मी प्रबंधन ने शासन से भी पत्राचार किया है।

शासन ने भी वाल्मी की जमीन से रोड निकालने पर रोक लगा दी है। इस बात से सीपीए के अफसर हैरान हैं। सीपीए का दावा है कि सड़क के लिए शासन से ही प्रशासकीय अनुमतियां ली गई हैं। अब सीपीए दोबारा इस रोड के लिए शासन से पत्राचार कर रहा है। वाल्मी प्रबंधन की आपत्ति के बाद लगी रोक से कलियासोत नदी पर बन रहे ब्रिज के औचित्य पर भी सवाल उठ रहे हैं।

सीपीए ने रोड बनाने से पहले ब्रिज का काम शुरू कर दिया, ताकि ब्रिज के खर्च का हवाला देकर बाद में रोड बनाने की अनुमतियां ली जा सके। फिलहाल सड़क का काम ठप है और ब्रिज बन चुका है। वाल्मी प्रबंधन से अनुमति नहीं ली। वाल्मी की जमीन से रोड निकालने संबंधी न तो कोई पत्राचार नहीं किया, न ही जानकारी दी। पूछे बगैर वाल्मी के डेमोंस्ट्रेशन फॉर्म में रोड मार्किंग कर दी।

जब मार्किंग और रोड के लिए मौके पर काम शुरू किया, तब वाल्मी प्रबंधन को भनक लगी कि उनकी जमीन से 7 मीटर चौड़ी सड़क निकाली जा रही है। इस ब्रिज की 630 मीटर एप्रोच रोड में से 580 मीटर वाल्मी की जमीन पर है। ब्रिज के निर्माण के समय से ही इसको लेकर विवाद बना हुआ था। इस पर तत्काल आपत्ति ली और रोक के लिए लिए शासन से पत्राचार किया, जिस पर शासन ने रोक लगा दी।

छोटे तालाब पर लटक गया आर्च ब्रिज
भोपाल. छोटे तालाब पर करीब 50 करोड़ की लागत से बना आर्च ब्रिज भी सरकारी लापरवाही के चलते अधर में लटक गया है। इस ब्रिज के बनने से इतवारा, बुधवारा, पातरा पुल की ओर से पॉलिटेक्निक चौराहे तक आने के लिए कमलापति पार्क का चक्कर नहीं काटना पड़ता। इस आर्च ब्रिज से माध्यम से वाहन काली मंदिर और गिन्नौरी होते हुए सीधे पॉलिटेक्निक चौराहा, फिरदौस पार्क पहुंचते। इससे करीब दो किलोमीटर की दूरी कम हो जाती और समय व ईंधन की भी बचत होती।

आर्च ब्रिज के आर्च में कुल 34 गर्डर लगने हैं, जिनका कुल वजन 400 टन बताया गया है। एक गर्डर का औसत वजन 12 टन है। आर्च गर्डर की लॉंचिंग के लिए स्पेशल के्रन से की गई और इसके लिए रेलवे ट्रैक की तरह रूट बनाया जा रहा है। ब्रिज की बॉटम में 101 गर्डर लगाए जा रहे हैं। इनका कुल वजन 620 टन है। आर्च ब्रिज में लगने वाले गर्डर में कुल 1020 टन स्टील का इस्तेमाल किया जा रहा। आर्च ब्रिज की लागत 39.80 करोड़ थी, लेकिन बाद में जीएसटी आदि लगाकर 50 करोड़ रुपए हो गई है।

इस आर्च ब्रिज की एप्रोच रोड को लेकर शुरू से ही विवाद की स्थिति है। तीन मकान एप्रोच रोड की अड़चन बन रहे हैं। महापौर आलोक शर्मा का कहना है कहा कि तीनों परिवार यहां से शिफ्ट होने को राजी हो गए थे और हम एप्रोच रोड का काम शुरू करने वाले थे, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने उन्हें भड़का दिया। एप्रोच रोड का काम अटकने को लेकर महापौर आलोक शर्मा ब्रिज पर ही धरने पर भी बैठ चुके हैं। धरना खत्म होने के बाद महापौर को पुलिस ने नोटिस भिजवा दिया कि उन्होंने बिना अनुमति और पूर्व सूचना के धरना क्यों दिया? इस ब्रिज का 90 प्रतिशत हो चुका है। सिर्फ तीन मकानों के आड़े आने से काम अटक गया है।


इस ब्रिज के बारे में टीएंडसीपी और वाल्मी के साथ बातचीत कर समाधान निकालने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि जल्द ही निराकरण निकलेगा।
– अजय श्रीवास्तव, ईई, सीपीए
जो भी तकनीकी समस्या थी, उसे सुलझा लिया गया है। मकानों के आड़े आने की दिक्कत राजस्व से संबंधित है, उसे प्रशासन सुलझाएगा।
– ओपी भारद्वाज, सिटी इंजीनियर, नगर निगम
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