– जवाबदेही भी तय होगी
सरकार का मानना है कि वसूली मुश्किल है, इसलिए कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाए। इसके लिए अफसरों की जवाबदेही भी तय की जाएगी। इसमें इन अफसर-ठेकेदारों को एडवांस देकर समायोजित न करने वाले तत्कालीन आला अफसरों को तलाशकर उनकी जवाबदेही भी तय होगी।
– कितने अफसर-ठेकेदार
सरकार ने एडवांस समायोजन के ऐसे मामले निकाले हैं, जिनमें वसूली के नोटिस के बावजूद समायोजन किया गया। इसमें 18 अफसर-कर्मचारी और पांच ठेकेदारों के शामिल नाम हैं। इनके जिला व क्षेत्रीय आहरण वितरण अधिकारियों ने भी इनके देयकों से कटौती नहीं की। नियमानुसार एडवांस राशि का समायोजन तीन महीने के भीतर नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की स्थिति बनती है।
दरअसल, नदियों से जुड़ी नहरों के निर्माण कार्यों में कई जगह बड़े ठेकेदारों को करोड़ों रुपए एडवांस दिए जाते रहे हैं। वर्तमान में मध्यप्रदेश में 180 से ज्यादा परियोजनाओं में ठेकेदारों को एडवांस राशि दी गई है। इनमें निर्माण कार्य विभिन्न स्तर पर चल रहा है या फिर लंबित है, इस कारण इस एडवांस को सरकार ने वसूल न होने वाले समायोजन में नहीं रखा है, लेकिन इनमें भी कई ऐसे ठेकेदार हैं, जिन्होंने एडवांस लेकर काम अटका दिया है। फिलहाल ऐसे प्रकरणों में सरकार उदारवादी रवैया अपनाकर निर्माण पूरा करने पर फोकस कर रही है। ठेकेदारों का गणित एडवांस लेकर ही काम करने का रहता है, ताकि उनकी पंूजी निर्माण काम में न फंसे। इसके लिए ठेकेदार अफसरों से साठगांठ कर लेते हैं।
एमआई खान उप अभियंता, एनपी सक्सेना उपअभियंता, आरएन सिंह अनुविभागीय अधिकारी, डीपी अग्रवाल कार्यपालन अभियंता, एफआर कश्यप उप अभियंता, आरजेएस कुशवाह उप अभियंता, वीके खरे उप अभियंता, एससी वर्मा कार्यपालन अभियंता, पीडी कोरी अनुविभागीय अधिकारी, एससी बिसधर प्रश्रेलि, सफ्दर अली प्रश्रेलि, एसबी मिश्रा उप अभियंता, रामदीन चपरासी, सुदर्शन चपरासी, एचबी विशाल सहायक अभियंता, एस रफीक उप अभियंता, केवी शेंडे उप अभियंता और एमके नेमा उप अभियंता।
खेमचंद्र अग्रवाल, बीएल सोनी, सुमेरचंद्र जैन, जी सलैहा और होरीलाल एंड कंपनी। पुराने एडवांस के मामले हैं, जिनमें वसूली होना है। इसके लिए विभागीय स्तर पर कार्रवाई चल रही है। नियमानुसार हम कार्रवाई कर रहे हैं।
– हुकुम सिंह कराड़ा, मंत्री, जल संसाधन विभाग