गौरतलब है कि पहले साल जो रैंकिंग आई थी, वह चयन के आधार पर थी। तब 20 शहरों में हम तीसरे नंबर पर थे। इसके बाद 99 शहरों में सातवें नंबर पर आए। अब परफॉर्मेंस आधारित मासिक रैंकिंग में 9वें नंबर पर हैं। भोपाल स्मार्ट सिटी के अफसरों को समझ आ गया है कि अब वही शहर शीर्ष पर रहेंगे, जो लक्ष्य साधकर प्रोजेक्ट्स पर अधिक खर्च करेंगे। नंबर वन रहे नागपुर ने 500 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में 300 करोड़ खर्च किए।
भोपाल 2700 करोड़ के प्रोजेक्ट में 700 करोड़ भी खर्च नहीं कर पाया। एबीडी प्रोजेक्ट का जमीनी काम गति पकड़ेगा, निर्माण शुरू होगा तो खर्च बढ़ेगा। इससे रैंकिंग अपने आप सुधर जाएगी।
इस तरह से रफ्तार बढ़ाने का है दावा
बीडीए का 248 करोड़ रुपए की लागत वाला महालक्ष्मी परिसर स्मार्ट सिटी के पास होगा। इसके निर्माण में खर्च किया जाएगा।
एबीडी प्रोजेक्ट की गति बढ़ाएंगे। शहर में करीब 1500 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं।
छोटा तालाब पर निर्माणाधीन 40 करोड़ रुपए का आर्च ब्रिज बिना देरी के पूरा किया जाएगा।
हाउसिंग फॉर ऑल के तहत मकान निर्माण की गति बढ़ाई जाएगी। इसमें 900 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च आएगा।
प्लेसमेकिंग के कार्यों में गति लाई जाएगी। इसके तहत करीब 20 करोड़ रुपए पूरे शहर में खर्च किया जाना है।
आर्च ब्रिज निर्माण आधा भी नहीं हुआ
छोटे तालाब पर किलोल पार्क से गिन्नौरी तक आर्च ब्रिज प्रोजेक्ट मई 2018 में पूरा होना था। अब तक आधा काम हो पाया है। नगर निगम ने टेंडर के बाद पिलर तो खड़े करवा लिए, पर काम अटक गया। स्मार्ट सिटी फंड से इसे पूरा कराया जाएगा।
केंद्र-राज्य के अनुदान पर असर नहीं
केंद्र और राज्य जो राशि दे रहा है, उस पर असर नहीं होगा। केंद्र व राज्य की राशि सालाना १००-१०० करोड़ रुपए तय है। केंद्र की अमृत योजना, हाउस फॉर ऑल योजना या नवीनकरणीय ऊर्जा से जुड़ी योजनाओं से मिलने वाली राशि जरूर कम-ज्यादा होगी।
हर प्रोजेक्ट तय समय से चल रहा पीछे
एबीडी के तहत अफोर्डेबल हाउसिंग व स्लम रि-डेवलपमेंट का काम लिया, जो शुरु हो चुका है।
रेट्रोफिटिंग में ट्रांजिट इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत सेंट्रल बस स्टेशन बेहतर करना, ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट, ट्रांजिट हब तैयार करना। अभी कोई काम नहीं हुआ।
निर्माण मजदूरों और आमजन को भी किराए से मकान देने की योजना में काम शुरू नहीं हुआ।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग लागू करना था, पर कोई काम नहीं किया।
बस मैनेजमेंट और स्मार्ट सिग्निलिंग करने के लिए सिस्टम अभी चालू किया है।
सिमलेस वाइफाइ कनेक्टिविटी के साथ ही वाइफाइ हॉट स्पॉट देना अभी शुरू नहीं किया है।
सेंट्रलाइज कंट्रोल एंड कमांड सेंटर हाल में शुरू किया है।
– स्मार्ट पार्किंग सिस्टम अब तक अधूरा ही है।
– सिटीजन इंगेजमेंट एंड सिटीजन सर्विसेस डैशबोर्ड की जानकारी लोगों तक नहीं पहुंच रही।
– वेरिएबल मैसेज साइन बोर्ड ने एक गैंट्री घोटाला तैयार कर दिया।
– ऑप्टिकल फायबर इनेबल्ड कम्युनिकेशन, जनशिकायती एप, एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सेंसर का लाभ लोगों को नहीं मिल पाया।
– स्मार्ट सॉल्यूशन में स्मार्ट पोल पूरी तरह से काम नहीं कर रहे।
बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने कई एजेंसियों का साथ चाहिए। स्मार्ट सिटी को सबसे पहले एरिया बेस्ड डेवलपमेंट पर ध्यान देना था, लेकिन वो आइटी आधारित प्रोजेक्ट में उलझा रहा। अब बड़े प्रोजेक्ट जिनसे सीधा
लाभ मिले उन पर ध्यान देने की जरूरत है।
– अवनीश सक्सेना, पूर्व चीफ आर्किटेक्ट बीडीए
नौवें नंबर पर आने से संतुष्ट नहीं हैं। ये परफॉर्मेंस आधारित रैंकिंग है, जिसमें खर्च पर ध्यान दिया जाता है। अब हम भ्ीा बड़े प्रोजेक्ट पर ध्यान देंगे। नंबर वन पर आ सकते हैं।
संजय कुमार, सीइओ, स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, भोपाल