पंचायत और निकाय चुनाव कराने के लिए संवेदनशील और अति संवेदशनशील मतदान केन्द्रों की मैपिंग की जा रही है। ये रिपोर्ट कलेक्टरों को तीन दिन के अंदर आयोग को सौंपनी होगी, जिसके आधार इन मतदान केन्द्रों पर सुरक्षा व्यवस्था कराई जाएगी। आयोग द्वारा इस तरह के मतदान केन्द्रों पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाती है।
मतदान केन्द्रों की मैपिंग पुराने चुनाव और वहां के प्रत्याशियों के हिसाब से की जाती है। मुख्य रूप से पिछले दो चुनावों के अपराधों और मतदान के दौरान हुई घटनाओं के आधार पर इसकी संख्या का निर्धारण किया जाता है। इन मतदान की जानकारी स्थानीय पुलिस और प्रशासन का जिला निर्वाचन अधिकारियों के पास भेजनी होती है। इसमें अति संवेदनशील और संवेदनशील का वर्गीकरण उन क्षेत्रों में हुए अपराधों को लेकर तय किया जात है। वैसे आयोग कुल मतदान केन्द्रों के 30 फीसदी मतदान केन्द्रों को इस श्रेणी में रखती है। इसके बाद प्रत्शशियों के चयन के बाद इस तरह के मतदान केन्द्रों की संख्या बनाई और घाटाई जाती है। अति संवेदनशील मतदान केन्द्रों पर पुलिस और एक्सपेंडीचर आब्र्जवर की विशेष नजर होती है।
होगी वीडियोग्राफी
संवेदनशील और अति संवेदनशील मतदान केन्द्रों की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी। वीडियोग्राफी कराने का काम जिला स्तर पर किया जाएगा। इन केन्द्रों में मतदान के अलावा विभिन्न घटनाक्रमों की भी वीडियोग्राफी होगी। आयोग कुछ मतदान केन्द्रों की वेब कास्टिंग भी कराई जाएगी।
ब्लाक स्तर पर होगा विशेष दस्ता
ब्लाक स्तर पर पुलिस का एक विशेष दस्ता गठित किया जाएगा। घटना की सूचना मिलने के बाद मैके पर पहुंच जाएगा। इसके अलावा भी प्रत्येक थाने में इस दस्ते का गठन किया जाएगा, जो घटना की सूचना मिलने पर मैके पर पहुंचते हैं।