इसमें आठ हजार एेसे पेंशनर हैं जो मृत हो चुके हैं, इसके बाद भी उनकी पेंशन लंबे समय से उनके बैंक खाते में भेजी जा रही थी। प्रदेश में 42 लाख हितग्राहियों को वृद्ध पेंशन बाटी जा रही है। पिछले पांच माह के अंदर एक लाख 87 हजार 700 हितग्राहियों का जांच और सत्यापन किया गया।
इस दौरान यह बात सामने आई कि 19 सौ हितग्राहियों ने जो अपने निवास का पता दिया था, वे अब उस ठिकाने पर नहीं रहते हैं। इसी तरह से 11 सौ हितग्राही ऐसे हैं, जो पेंशन की पात्रता को ही पूरी नहीं करते हैं अथवा ये हितग्राही अपात्र हैं, जबकि 8000 हितग्राही मृत हो चुके हैं।
इस तरह के पेंशनरों की जांच-पड़ताल की जा रही हैं। यह जानकारी ली जा रही है कि उन हितग्राहियों की मौत कब हुई है और उनकी पेंशन मौत के बाद उसके खाते से राशि निकाली गई थी अथवा नहीं।
पेंशनरों से बैंकों को हर 6 माह में जीवित होने का प्रमाण पत्र लेना आवश्यक है, यह प्रमाण पत्र बैंकों, पोस्ट आफिस में लिया गया था अथवा नहीं।
मृत व्यक्तिओं के खाते में सबसे ज्यादा राशि उज्जैन, मंडला और जबलपुर जिले में डाली गई है। जबलपुर जिले में अपने ठिकाने से गायब रहने वाले साढ़े चार सौ हितग्राहियों को पेंशन दी गई है। वहीं शहडोल जिले में 269 सबसे ज्यादा अपात्र पेंशनरों को राशि बाटी गई है।
40 लाख पेंशनरों के जांच के निर्देश
सामाजिक न्याय विभाग ने प्रदेश के 40 लाख अन्य पेंशनरों की जांच और सत्यापन करने के निर्देश पंचायतों और नगरीय निकायों को दिए हैं। ग्राम पंचायत सचिवों और वार्ड प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रत्येक पेंशनरों के ठिकानों पर वे खुद जाए, उनके पत्र, अपात्र और मृत सत्यापन करें और इसकी जानकारी ऑन लाइन अपलोड करें। इस दौरान यह बैंकों से यह भी जानकारी लें कि कितने पेंशनरों ने विगत 6 माह से अपनी पेंशन नहीं निकाली है।
पात्र-अपात्र और मृत पेंशनरों की एक सूची वार्ड कार्यालय और पंचायत भवनों में चस्पा करें, जिससे इनके संबंध में स्थानीय लोग भी इसकी जानकारी मिल सके।