जहांगीराबाद निवासी ४८ वर्षीय महेश बाथम नर्मदा घाटी विकास प्रधिकरण में एलडीसी थे। गुुरुवार को चौथी मंजिल से गिरने से उनकी मौत हो गई थी। घटना स्थल को देखने के बाद एेसा लग रहा है कि बाबू ने आत्महत्या की है नहीं तो किसी ने धक्का दिया है। पुलिस ने शुक्रवार को पीएम के बाद परिजनों को शव सौंप दिया।
मौत पर संदेह के छह कारण
१. पुलिस को सूचना क्यों नही दी : बाबू जब बिल्डिंग से गिरा तब कर्मचारियों ने पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी। पुलिस को बाबू की मौत की सूचना अस्पताल से मिली।
२. साथी कर्मचारियों की चुप्पी : बाबू की मौत अगर अनहोनी है तो फिर कर्मचारियों को उसके बारे में कुछ बोलने में इतना संकोच क्यों हो रहा है। साथी क्यों इस मुद्दे से मुंह छिपा रहे हैं।
३. खिडक़ी से कैसे गिरा : बाबू की जिस खिडक़ी से गिरने से मौत हुई है। उससे कोई आसानी से नहीं गिर सकता। क्योंकि चारों तरफ से पैक है। बिना चढ़े या धक्का दिए ये संभव ही नहीं है।
४. एफएसएल को क्यों नहीं बुलाया : इस घटना के बाद पुलिस को अस्पताल से सूचना मिली। उसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन एफएसल टीम को नहीं बुलाया गया। जबकि एेसे गंभीर मसले में एफएसएल की मौजूदगी जरूरी है।
५. सिर्फ पैर क्यों फ्रैक्चर, सिर में चोट क्यों नही : जिस फर्श पर बाबू की बॉडी पड़ी थी। उससे खिडक़ी की उंचाई करीब ३० फीट है। इतनी उंचाई से कोई गिरेगा तो उसका सिर्फ पैर कैसे फ्रैक्चर हो सकता है। उसके सिर में चोट क्यों नहीं लगी।
६. साथी अस्पताल में छोडक़र क्यों भागा : जो साथी बाबू को अस्पताल लेकर गया। वो भी अस्पताल में एडिमट कराने के बाद वहां से भाग गया।
छुट्टी काटकर तीन दिन पहले ही आया था
महेश के बड़े भाई प्रदीप बाथम ने बताया कि उनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे एक बेटा शौर्य (६) और बेटी अनुष्का (१०) हैं। महेश ने करीब १५ दिन की छुट्टी ली थी। उसके बाद ४ जून को वो वापस ड्यूटी गया था। उसके तीन दिन बाद ही ये हादसा हो गया। एेसे में समझ नहीं आ रहा है कि उसके साथ क्या हुआ।
जांच की जा रही है
एलडीसी की मौत की सूचना हमें अस्पताल से मिली थी। उसके बाद हमारी टीम मौके पर गई थी। इस मामले में मर्ग कायम कर लिया गया है। परिवार के लोगों का अब तक बयान नहीं हुआ है। बयान के बाद मामला और स्पष्ट होगा।
– उपेंद्र भाटी, एपमी नगर थाना प्रभारी