scriptभाजपा सरकार में गठित सहकारी बैंक बोर्ड सरकार के निशाने पर | On the target of the cooperative bank board formed by the BJP governme | Patrika News

भाजपा सरकार में गठित सहकारी बैंक बोर्ड सरकार के निशाने पर

locationभोपालPublished: Feb 28, 2019 08:40:59 am

Submitted by:

Ashok gautam

भाजपा सरकार में गठित सहकारी बैंक बोर्ड सरकार के निशाने पर, 11 में प्रशासक नियुक्त, 14 रडार में, लोकसभा चुनाव के बाद फिर 38 बैंकों में चुनाव कराने की तैयारी

भोपाल। भाजपा शासनकाल में गठित किए गए जिला सहकारी बैंकों के संचालक मंडल अब कांग्रेस सरकार के निशाने पर हैं। कोरम का अभाव बताकर सरकार ने यहां प्रशासक पदस्थ करना शुरू कर दिया है।

अभी तक 11 जिला सहकारी बैंकों में प्रशासक पदस्थ किए जा चुके हैं। शेष 14 सहकारी बैंकों के संचालक मण्डल पर तलवार लटकी है। विभाग के ज्वाइंट रजिस्ट्रार अपने स्तर पर संचालक मण्डल को भंग करने का प्रस्ताव भेज रहे हैं।
भाजपा सरकार में करीब तीन हजार समितियों से चुनाव जीत कर आए सदस्यों ने २५ बैंकों के अध्यक्षों का चयन किया था, लेकिन अब इनमें से ज्यादातर सदस्य डिफाल्टर हो चुके हैं।

करीब आठ सहकारी बैंकों में अनियमितताओं की शिकायतें आई हैं, इन बैंकों में या तो समय पर संचालक मंडल की बैठक नहीं हुई है या फिर संचालक मंडल ने ऐसे निर्णय ले लिए हैं जो उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं थे।
कई जगह अविश्वास प्रस्ताव की स्थितियां भी बन रही हैं। सभी सहकारी बैंकों में पिछले संचालक मंडल के चुनाव को लेकर पिछले चार माह से घमासान मचा हुआ है। हर हफ्ते दो से तीन बैंकों का संचालक मंडल भंग हो रहा है।
——————————
सरकार की नजर बड़े संघों पर
लघु वनोपज जैसे अन्य संस्थाओं में जहां अध्यक्षों ने हटाए जाने को लेकर सहकारिता कोर्ट से स्थगन ले रखा है वहां सदस्यों के माध्यम से अविश्वास प्रस्ताव लाने की स्थिति निर्मित की जा रही है। इन संस्थाओं में प्रशासन नियुक्त करने के बाद समितियों का चुनाव कराया जाएगा और इसके बाद यहां के अध्यक्षों का चुनाव होगा।
बताया जाता है कि 12 संघ में अध्यक्षों को हटाकर चुनाव कराया जाना है। इसकी भी तैयार कांग्रेस सरकार ने शुरू कर दी है। इन अध्यक्षों के द्वारा पिछले पांच साल में किए कार्यों और निर्णयों में कमियां निकाली जा रही है।
———————–
समितियां डिफाल्टर होने से हटाए जा रहे हैं अध्यक्ष

बालाघाट और खंडवा सहकारी बैंक को छोड़कर जहां भी संचालक मंडल भंग किए गए हैं वहां के सदस्यों की समितियां डिफाल्टर पाई गई हैं।
जिस समय सीमा में समितियों को किसानों से ऋण वसूली कर बैंकों में राशि जमा करना था उस समय तक उन्होंने राशि जमा नहीं की है। इसके विधानसभा चुनाव और कांग्रेस वचन पत्र के चलते किसानों ने लोन की राशि देना बंद कर दिया, जिससे 80 फीसदी समितियां डिफाल्टर हो गई है।
—————–
इन बैंकों में बोर्ड भंग –

रतलाम, बालाघाट, झाबुआ, धार, खंडवा, इंदौर, मंदसौर, शाजापुर, छिंदवाड़ा, रायसेन और भोपाल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो