सिर्फ सूखा और अच्छा चना ही लेंगे
मप्र वेयरहाउस कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक राजीव दुबे ने कहा कि उसी चने का भंडारण किया जाएगा, जिसकी क्वालिटी अच्छी और सूखी है। अब सवाल यह है कि भीगे चने का भंडारण या नुकसान की भरपाई कौन करेगा। वहीं, जब तक भंडारण नहीं होगा, तब तक किसान को पैसा नहीं मिलेगा।
पैसा भी अटका
किसानों को भुगतान का इंतजार प्रदेश के करीब 44 हजार से अधिक किसानों को दस दिन बाद भी पैसा नहीं मिला है। इन किसानों को 43236.27 लाख का भुगतान समितियों के माध्यम से भुगतान करना है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति विंध्य क्षेत्र की है, यहां 15 हजार से ज्यादा किसान भुगतान के इंतजार में हैं।
इसलिए बनी ऐसी स्थिति
सरकार ने समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के बाद ट्रांसपोर्टरों को परिवहन का जिम्मा सौंपा था। बाद में किसान समृद्धि योजना में 20 लाख मीट्रिक टन चना, सरसों और मसूर भी खरीदी। ट्रांसपोर्टरों के पास इस
अतिरिक्त अनाज के लिए पर्याप्त ट्रक नहीं हैं। अब कलेक्टरों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।