मप्र मेडिकल काउंसिल से हुआ खुलासा: मप्र मेडिकल काउंसिल ने प्रदेश में डॉक्टरों की सही संख्या जानने के लिए डॉक्टरों के री-रजिस्ट्रेशन के निर्देश जारी किए थे। अंतिम तिथि तक महज 22000 डॉक्टरों ने ही रजिस्ट्रेशन कराया।
ये हैं प्रमुख कारण
डॉक्टरों का पलायन: डॉक्टरों का प्रदेश छोड़ना ही सबसे बड़ी समस्या है। प्रदेश में हर साल तीन हजार के आसपास डॉक्टर तैयार हो रहे हैं, लेकिन इनमें से हर साल 800 से ज्यादा प्रदेश छोड़ देते हैं।
कम मेडिकल कॉलेज: मप्र में सिर्फ 13 सरकारी और 11 निजी मेडिकल कॉलेज ही हैं। बीते दस सालों में सिर्फ आठ नए मेडिकल कॉलेज ही शुरू हो सके। वहीं महाराष्ट्र और तमिलनाडु सहित अन्य राज्यों में 50 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज हैं।
पीजी की संख्या भी कम: एमबीबीएस के अलावा पीजी की सीटें भी अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम हैं। बीते सालों में प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था में बहुत सुधार हुआ है। 13 मेडिकल कॉलेज अभी पाइप लाइन में हैं। डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया भी लगातार चल रही है। हाल ही में पीएससी के माध्यम से विज्ञापन निकाले गए हैं।
– डॉ. प्रभुराम चौधरी, मंत्री, स्वास्थ्य विभाग