scriptएक बूंद खून से पता चलेगा आपको कैंसर है या नहीं | one drop of blood will tell whether cancer is there or not | Patrika News

एक बूंद खून से पता चलेगा आपको कैंसर है या नहीं

locationभोपालPublished: Jan 06, 2018 12:41:51 am

– निरेह कर रहा बायोमार्कर पर रिसर्च, पूरा होने पर पहले ही पता चल जाएगी कई बीमारियों की संभावना, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने निरेह के इस प्रोजेक

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भोपाल. राजधानी स्थित राष्ट्रीय पर्यावरणीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (निरेह) ने अब गैस पीडि़तों पर रिसर्च के साथ पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी रिसर्च भी शुरू कर दिए हैं। संस्थान ने वर्ष २०१७ में बायोमार्कर पर रिसर्च शुरू की है। यह रिसर्च पूरी होने पर मेडिकल साइंस में काफी बदलाव आने की संभावना जताई जा रही है। क्योंकि रिसर्च के बाद सिर्फ एक बूंद खून निकालकर यह पता लगाया जा सकेगा कि संबंधित व्यक्ति को कैंसर है या नहीं और भविष्य में इसकी कितनी संभावना है। इसके साथ अन्य बीमारियों की संभावना के बारे में भी पहले से पता चल सकेगा।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने निरेह के इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। संस्थान ने करीब छह महीने पहले इस पर रिसर्च शुरू कर दिया है। निरेह के वैज्ञानिकों के अनुसार इसके लिए लोगों के ब्लड सेंपल एकत्रित करने और उनका एनालिसिस करने का काम शुरू हो गया है। अलग-अलग बीमारियों से पीडि़त लोगों के भी नमूने लिए जा रहे हैं और सामान्य लोगों के भी।
तीन साल में पूरी होगी रिसर्च


निरेह के वैज्ञानिक डॉ. अनिल प्रकाश के अनुसार बायोमार्कर पर रिसर्च शुरू हो गया है। अभी इसे पूरा होने में करीब तीन साल लगेंगे। इस दौरान वैज्ञानिक ब्लड सैंपल की जांच कर विभिन्न बीमारियों के दौरान खून में पैदा होने वाले बायोमार्कर चिन्हित करेंगे। इस रिसर्च के पूरा होने के बाद एक बूंद खून की जांच से भी कैंसर सहित विभिन्न बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। साथ ही बीमारियों का सही उपचार भी तय हो पाएगा। प्री कैंसर जैसी स्थितियों का भी पता चल सकेगा।
क्या हैं बायोमार्कर

शरीर के अंदर होने वाली विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं, रोगजनक प्रक्रियाओं और औषधीय प्रक्रियाओं के कारण कुछ खास मार्कर पैदा होते हैं। प्रक्रियाओं में थोड़ा सा बदलाव होने पर इनमें भी बदलाव होता है। इन्हें ही बायोमार्कर के नाम से जाना जाता है। कैंसर जैसी कई बीमारियां होने के बावजूद शरीर में इनके लक्षण काफी बाद में दिखाई देते हैं। जब तक काफी देर हो चुकी होती है। लेकिन जैसे ही कैंसर सेल बनना शुरू होंगी तो खून में उसके बायोमार्कर भी पैदा होंगे। इससे एकदम शुरुआत में भी इनकी मदद से बीमारी का पता चल जाएगा।
कैंसर पीडि़त मां का इलाज नहीं करा सकते


भोपाल. बुढ़ापे की दहलीज पर बेटे से उम्मीद की जाती है कि वो सहारा बनेगा। बेटा सक्षम नहीं है तो एक बार को परेशान माता पिता तसल्ली कर सकते हैं, लेकिन बेटा सक्षम होते हुए इलाज के लिए रुपए मांगने पर मदद की जगह मारपीट कर परेशान करे तो ये बात आसानी से गले नहीं उतरती। एेसे ही एक मामले में एसडीएम टीटी नगर ने माता पिता को सताने वाले बेटे को मकान से बेदखल करने का आदेश सुनाया है। त्रिलंगा निवासी मधुमंगलम पुलिस विभाग में रीडर थे और 2013 में रिटायर्ड हो चुके हैं। पत्नी रजनी गौतम कैंसर की बीमारी से जूझ रही है। नौकरी पर रहते हुए उनका विधिवत इलाज कराने की जिम्मेदारी मधुमंगलम ही उठाते रहे। उनकी दो बेटी और एक बेटा पियूष है जो जिला अदालत में सहायक ग्रेड तीन के पद पर पदस्थ है और बहू भी कोपल कॉलेज में लाइब्रेरियन के पर पर कार्यरत है। एसडीएम टीटी नगर को दिए आवेदन में बुजुर्ग मधुमंगलम ने बताया कि इलाज के लिए बेटे से रुपए मांगने पर वह कोई मदद नहीं करता, उल्टा आए दिन घर का सामान तोड़ फोड़ कर देता है। गाली-गलौच कर मारपीट भी करता है। वह बेटे को मकान से बेदखल करना चाहते हैं, ताकि मकान को किराये पर देकर पत्नी का इलाज करा सकें। एसडीएम ने बेटे को नोटिस देकर जवाब मांगा, जिस पर पियूष ने बताया कि उसके पिता ने ही उसे घर में साथ रहने के लिए बुलाया था। ऐसे में वह घर से अलग होने के लिए तैयार है।
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