भोपाल

कोरोना काल में नहीं मिली गांव की एक लाख बेटियों को स्कॉलरशिप

शहरों की प्रतिभा किरण भी रहीं महरूम
सरकार ने जारी किए छात्रवृत्ति देने के निर्देश
 

भोपालJul 14, 2021 / 05:45 pm

Arun Tiwari

जाजू कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने किया गांधीसागर क्षेत्र का भ्रमण।

भोपाल : कोरोना काल का असर शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को मिलने वाली स्कॉलरशिप पर भी पड़ा है। कॉलेज में गांव की प्रतिभावान छात्राओं को गांव की बेटी स्कॉलरशिप मिलती है जबकि शहरों की जरुरतमंद छात्राओं को प्रतिभा किरण योजना के तहत छात्रवृत्ति दी जाती है। सरकार का मकसद बेटियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाना है। कोरोना काल के चलते एक लाख से ज्यादा गांव की बेटी और 9 हजार से ज्यादा प्रतिभा किरण योजना के तहत छात्राओं को साल 2020-21 की स्कॉलरशिप नहीं मिली। इन योजनाओं के तहत छात्राओं को पांच सौ रुपए महीने दिए जाते हैं। सरकार ने इन योजनाओं के तहत स्कॉलरशिप देने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके लिए बजट भी रखा गया है। सबसे पहले गांव की बेटी और प्रतिभा किरण योजना के तहत आने वाली छात्राओं को पिछले वर्ष की स्कॉलपरशिप दी जा रही है।

ये है गांव की बेटी योजना :
इस योजना के तहत गांव के स्कूल से 12वीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने वाली छात्रा को सरकार कॉलेज में प्रवेश लेने पर 500 रुपए महीने देती है। ये स्कॉलरशिप दस महीने के लिए दी जाती है यानी साल में पांच हजार रुपए छात्राओं को अतिरिक्त मिलते हैं। इस योजना में छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। साल 2020-21 में 1 लाख 4 हजार छात्राओं को ये पैसा मिलेगा। इसके लिए बजट में 3848 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। पिछले दस सालों में छात्राओं की संख्या तीन गुना तक बढ़ गई है।

ये है प्रतिभा किरण योजना :
इस योजना के तहत नगरीय क्षेत्रों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली छात्राओं को 12वीं में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर उच्च शिक्षा के लिए सरकार सहायता करती है। इस योजना के तहत 500 रुपए महीने, दस महीने तक दिए जाते हैं। साल 2020-21 में 9200 छात्राओं को स्कॉलरशिप मिलेगी। इसके लिए बजट में 325 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है।

कॉलेजों में बढ़ रही छात्राओं की संख्या :
सरकारी कॉलेजों में छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। साल 2020-21 के नामांकन के अनुसार 423400 लडक़ों ने जबकि 575583 लड़कियों ने एडमिशन लिया। यानी 58 फीसदी लड़कियों की संख्या रही जबकि 42 फीसदी लडक़ों ने कॉलेज में प्रवेश लिया। प्रायवेट कॉलेजों में लडक़ों की संख्या ज्यादा है। यहां पर 44 फीसदी छात्राएं जबकि 56 फीसदी छात्रों की संख्या है।

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